एसडीएम नहीं बना तो करने लगा ठगी, पुलिस ने किया गिरफ्तार
खुद को एसडीएम बताकर एक व्यक्ति से जमीन दिलाने के नाम पर 15 लाख ठगने वाले शातिर को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसके पास से नकदी तीन एटीएम कार्ड चेकबुक पांच मोबाइल फोन और कई व्यक्तियों के पैन कार्ड आधार कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कॉपी बरामद हुई।
जागरण संवाददाता, देहरादून। खुद को उप जिलाधिकारी (एसडीएम) बताकर एक व्यक्ति से जमीन दिलाने के नाम पर 15 लाख रुपये ठगने वाले शातिर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित के पास से नकदी, तीन एटीएम कार्ड, चेकबुक, पांच मोबाइल फोन और कई व्यक्तियों के पैन कार्ड, आधार कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कॉपी बरामद हुई है। पुलिस आरोपित के साथियों की तलाश कर रही है। बता दें कि शातिर अश्वनी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। इसके बाद उसने 1991 में पीसीएस की परीक्षा दी। लेकिन, मेंस की परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में फेल हो गया। इसके बाद उसने कुछ निजी कंपनियों में काम किया। बाद में जल्द अमीर बनने के लालच में फर्जी अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करने लगा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बीते शनिवार को कोटड़ा संतौर निवासी सौरभ बहुगुणा ने प्रेमनगर थाने में धोखाधड़ी की शिकायत की थी। उन्होंने खुद को एसडीएम बताने वाले अश्वनी कुमार श्रीवास्तव पर पंकज शर्मा, कमल धामी, पिंकी व एक राजस्व उपनिरीक्षक के साथ मिलकर 15 लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया था। सोमवार को अश्वनी को सुद्धोवाला से गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में अश्वनी ने बताया कि वह पंकज शर्मा के साथ तहसील के बाहर चक्कर लगाता रहता था। इसी दौरान पंकज की मुलाकात सौरभ बहुगुणा से हुई। पंकज ने खुद को एसडीएम का ड्राइवर बताया तो सौरभ ने उसे अपनी जमीन संबंधी समस्या बताई। इसके बाद पंकज ने सौरभ को अश्वनी से यह कहकर मिलवाया कि अश्वनी एसडीएम है और उसकी समस्या का समाधान आसानी से करा देगा। सौरभ को विश्वास दिलाने के लिए दोनों ने पटवारी को बुलाकर जमीन की नपाई कराई। इसके बाद अश्वनी ने जमीन दिलाने के लिए सौरभ से 20 लाख रुपये मांगे। कुछ दिन बाद सौरभ ने अश्वनी और पंकज को 15 लाख दे दिए। फिर दोनों आरोपितों ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर लिया। एसएसपी ने बताया, अश्वनी इतना शातिर है कि अपने मोबाइल फोन सिर्फ बात करने के लिए ऑन करता था, बाकी समय उसके मोबाइल बंद रहते थे।
हरिद्वार में भी नौकरी दिलाने के नाम पर 32 युवकों को बनाया था शिकार
अश्वनी ने हरिद्वार में भी 32 युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा था। इस मामले में वह जेल भी गया था। 24 नवंबर 2018 को इस प्रकरण में उसके खिलाफ हरिद्वार नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। सितंबर 2018 में अश्वनी हरिद्वार के एक आश्रम पहुंचा था। वहां उसने खुद को वाराणसी का रहने वाला बताया। साथ ही बताया कि पहले उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) में एजीएम के पद पर कार्यरत था और फिलहाल भारत हेवी इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड में टरबाइन का काम देख रहा है। ठगी के शिकार हुए युवकों की अश्वनी से मुलाकात आश्रम में ही हुई थी। इनमें से एक युवक आश्रम में ही रहता था।
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