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जल्द होगा त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल का विस्तार, शामिल हो सकते हैं तीन नए चेहरे

उत्तराखंड में सत्ता संभालने के लगभग सवा दो साल बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जल्द अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। मॉनसून सत्र से पहले नए मंत्री बनाए जा सकते हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 09:10 PM (IST)
जल्द होगा त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल का विस्तार, शामिल हो सकते हैं तीन नए चेहरे
जल्द होगा त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल का विस्तार, शामिल हो सकते हैं तीन नए चेहरे

देहरादून, विकास धूलिया। उत्तराखंड में सत्ता संभालने के लगभग सवा दो साल बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जल्द अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन से उपजी परिस्थितियों में यह तय माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी टीम में दो से तीन नए चेहरे शामिल कर सकते हैं। अभी मंत्रिमंडल में तीन स्थान रिक्त हैं। राजनैतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक जुलाई में संभावित विधानसभा के मॉनसून सत्र से पहले नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। 

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उत्तराखंड में 70 सदस्यीय विधानसभा है और संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक यहां अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। मार्च 2017 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उस वक्त उनके अलावा नौ अन्य मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। तब समझा जा रहा था कि मुख्यमंत्री जल्द अपने मंत्रिमंडल में रिक्त दो स्थानों को भर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

कई बार उठी चर्चाओं के बाद भी त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में पिछले सवा दो साल के कार्यकाल के दौरान कोई नया मंत्री नहीं शामिल किया गया। हालांकि इस दौरान सरकार ने 30 से ज्यादा पार्टी नेताओं को मंत्री पद के दर्जे के समकक्ष दायित्व जरूर सौंप दिए। महत्वपूर्ण बात यह रही कि दायित्व पाने वालों में कोई भी विधायक शामिल नहीं है।

दरअसल, मुख्यमंत्री के लिए नए मंत्रियों की नियुक्ति किसी चुनौती से कम नहीं। भाजपा इस बार तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सूबे में सत्ता में आई। मुख्यमंत्री समेत 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों पर नियुक्त विधायकों को छोड़ दिया जाए तो 40 से ज्यादा विधायक मंत्री पद या दायित्व पाने वालों की कतार में हैं। 

इनमें 20 से ज्यादा विधायक ऐसे हैं, जो दो या इससे ज्यादा बार विधायक रह चुके हैं। इनमें पांच पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। जाहिर है कि इतने दावेदारों के बीच में से मंत्रिमंडल के रिक्त पदों के लिए उपयुक्त विधायक को चुनना किसी चुनौती से कम नहीं।

इस बीच पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य और संसदीय कार्य व वित्त मंत्री प्रकाश पंत का असामयिक निधन हो गया। इससे मंत्रिमंडल में एक और स्थान तो रिक्त हुआ ही, साथ ही स्व. पंत के कद और काबिलियत के समान किसी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल करना जरूरी हो गया। 

खासकर इसलिए भी क्योंकि स्व. पंत अकसर ही सदन और सदन के बाहर सरकार के लिए विभिन्न अवसरों पर संकटमोचक की भूमिका निभाते रहे थे। इस लिहाज से किसी वरिष्ठ विधायक को संसदीय कार्य और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दिए जाने की अनिवार्यता मुख्यमंत्री के समक्ष आ गई है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अब मुख्यमंत्री जल्द ही मंत्रिमंडल में रिक्त पदों पर नए मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं। आगामी 16 जून को मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शिरकत के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं। समझा जा रहा है कि वह इस दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। 

फिर जुलाई में विधानसभा सत्र संभावित है और इससे पहले किसी को संसदीय कार्य की जिम्मेदारी दी जानी भी जरूरी है। इस लिहाज से इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि मुख्यमंत्री विधानसभा सत्र से पहले ही मंत्रिमंडल विस्तार करें। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अगर इसमें देरी होती है तो किसी वरिष्ठ मंत्री को ही यह जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।

कार्यों की सुगमता के लिए विस्तार जरूरी 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद नैनीताल अजय भट्ट के अनुसार, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के बाद मंत्रिमंडल में तीन स्थान रिक्त हो गए हैं। यह तो तय है कि देर सवेर मंत्रिमंडल विस्तार किया ही जाना है और कार्य की सुगमता और सुचारू संचालन के लिए यह जरूरी भी है। इस लिहाज से देखा जाए तो मंत्रिमंडल विस्तार जल्द किया जा सकता है। हालांकि यह भी ध्यान रखना होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है।

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