उत्तराखंड: गंगा में खनन के लिए केंद्र में देंगे दस्तक, पढ़िए पूरी खबर
एनएमसीजी द्वारा हरिद्वार के नजदीक गंगा में भोगपुर और चिड़ियापुर में खनन पर लगाई गई रोक हटाने के लिए अब कवायद शुरू की जा रही है। इस संबंध में उत्तराखंड वन विकास निगम जल्द ही एनएमसीजी के अलावा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष राज्य का पक्ष रखेगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा हरिद्वार के नजदीक गंगा में भोगपुर और चिड़ियापुर में खनन पर लगाई गई रोक हटाने के लिए अब कवायद शुरू की जा रही है। इस संबंध में उत्तराखंड वन विकास निगम जल्द ही एनएमसीजी के अलावा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष राज्य का पक्ष रखेगा। उधर, देहरादून जिले की सोरना नदी में 10 साल के लिए खनन को केंद्र से अनुमति मिल गई है।
उत्तराखंड वन विकास निगम को पूर्व में भोगपुर और चिड़ियापुर में खनन के लिए 10 साल की अनुमति केंद्र से मिली थी। पिछले सीजन में एनएमसीजी ने अग्रिम आदेशों तक वहां खनन पर रोक लगा दी थी। निगम के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि अब एनएमसीजी के साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को यह अवगत कराया जाएगा कि इन स्थानों पर खनन न होने पर नदी का तल उठने से दिक्कतें हो सकती हैं।
ऐसे में जरूरी है कि वैज्ञानिक ढंग से खनन हो और निगम के पास इसका लंबा अनुभव है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस माह के आखिर तक गंगा में इन दोनों स्थानों पर खनन की केंद्र से मंजूरी मिल जाएगी। सिंघल ने यह भी बताया कि देहरादून की सोरना नदी से छह लाख घनमीटर उपखनिज निकाला जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद अब उत्तराखंड शासन इस संबंध में कार्यादेश जारी करेगा। इसके बाद निगम द्वारा इस नदी में खनन कार्य शुरू कराया जाएगा।
सौंग और जाखन के लिए भी कसरत
देहरादून जिले में सौंग और जाखन नदी में खनन शुरू करने को भी कसरत चल रही है। इन नदियों में खनन के मद्देनजर पूर्व में 10 साल के लिए जारी हुई वन एवं पर्यावरणीय स्वीकृति की अवधि खत्म हो चुकी है। अब निगम इसके लिए दोबारा से कवायद में जुट गया है।
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