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यहां आबकारी विभाग के पास बंदूके हैं पर लाइसेंस रिन्यू करने के पैसे नहीं, जानिए

आबकारी विभाग के पास शराब तस्करों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है उसके कार्मिक बिना बंदूकों के दबिश दे रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 09:06 PM (IST)
यहां आबकारी विभाग के पास बंदूके हैं पर लाइसेंस रिन्यू करने के पैसे नहीं, जानिए
यहां आबकारी विभाग के पास बंदूके हैं पर लाइसेंस रिन्यू करने के पैसे नहीं, जानिए

देहरादून, जेएनएन। जिस आबकारी विभाग के पास शराब तस्करों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है, उसके कार्मिक बिना बंदूकों के दबिश दे रहे हैं। ऐसे में तस्कर क्यों बेखौफ नहीं होंगे और कैसे एक के बाद एक जहरीली शराब कांड के मामले थम पाएंगे। कहने को जरूर आबकारी विभाग के पास 50 बंदूकें हैं, मगर इनके लाइसेंस रिन्यू ही नहीं कराए जा सके हैं। लिहाजा, कार्मिकों ने बंदूकों को कार्यालय में जमा करा दिया है। 

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फरवरी माह में जब रुड़की शराब कांड में उत्तराखंड के ही 42 लोगों की मौत हो गई थी, तब आबकारी विभाग के आला अधिकारियों ने प्रवर्तन संबंधी सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का भरोसा दिलाया था। कुछ समय तक तमाम स्तर पर कसरत की गई, पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल को एकल सदस्यीय जांच आयोग की कमान सौंपी गई। इससे पहले कि अधिकारी अपने वादे के मुताबिक व्यवस्थाएं सुधार पाते, दून से सटे टिहरी के मरोड़ा गांव में जहरीली शराब पीकर दो लोगों की मौत का मामला सामने आ गया। 

इसके बाद भी विभाग नहीं चेता और फिर पथरिया पीर में सामने आए शराब कांड में सात लोगों की मौत हो गई। आखिर शराब तस्करों पर अंकुश लगे भी तो कैसे। क्योंकि शराब तस्करों की धरपकड़ और जरूरत के समय सुरक्षा के लिए जो 50 बंदूकें मुहैया कराई गई हैं, उनके लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए विभाग के पास 1500 रुपये भी नहीं हैं। जो आबकारी विभाग सरकार को हजारों करोड़ (इस बार का लक्ष्य ही 3000 करोड़ रुपये से अधिक है) का राजस्व दे रहा है, उसके पास बंदूकों के लाइसेंस रिन्यू करने के लिए बजट न होना भी समझ से परे है। हालांकि, जब जागरण ने इस प्रकरण को आबकारी आयुक्त सुशील कुमार के समक्ष रखा तो उन्होंने तत्काल कार्मिक अनुभाग को निर्देश जारी किए कि मुख्यालय से इसके लिए बजट मुहैया कराया जाए। 

उत्तराखंड आबकारी सिपाही, प्रधान सिपाही एसोसिएशन के महामंत्री धर्मपाल रावत ने बताया कि मुझे दी गई बंदूक के लाइसेंस नवीनीकरण अवधि भी मार्च में समाप्त हो गई थी। इसके बाद लाइसेंस रिन्यू न होने पर बंदूक को कार्यालय में जमा करा दिया गया है। इसके अलावा भी विभाग के तमाम संसाधनों व कार्मिक मसलों को लेकर समय-समय पर मुख्यालय व शासन को अवगत कराया जाता रहा है। इसके बाद भी उच्चाधिकारी ध्यान नहीं देते हैं और जब कोई अनहोनी होती है तो उसका ठीकरा कार्मिकों के सिर फोड़ दिया जाता है।  

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अब बिना वर्दी दबिश नहीं दे पाएंगे आबकारी कार्मिक 

अब आबकारी विभाग का संयुक्त आयुक्त स्तर तक का कोई भी कार्मिक बिना वर्दी दबिश नहीं दे पाएगा। आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। आयुक्त की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि कोई भी सिपाही, प्रधान सिपाही, निरीक्षक व सहायक आयुक्त जब भी दबिश में जाएंगे तो उन्हें वर्दी पहननी होगी। जो भी कार्मिक बिना वदी दबिश करता पाया गया तो इसे सेवा नियमावली का उल्लंघन माना जाएगा और संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। 

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