दोहरे नियंत्रण के खिलाफ पूर्व सैनिकों ने भरी हुंकार, किया सांकेतिक प्रदर्शन
असम राइफल्स पर दोहरे नियंत्रण के खिलाफ पूर्व सैनिकों ने मोर्चा खोल दिया है। असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार से सहस्रधारा रोड स्थित धरना स्थल पर सांकेतिक प्रदर्शन किया। उन्होंने तीन घंटे धरना दिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। असम राइफल्स पर दोहरे नियंत्रण के खिलाफ पूर्व सैनिकों ने मोर्चा खोल दिया है। असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार से सहस्रधारा रोड स्थित धरना स्थल पर सांकेतिक प्रदर्शन किया। उन्होंने तीन घंटे धरना दिया। धरने में असम राइफल्स एक्स सर्विसमैन वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े कई पूर्व सैनिक शामिल हुए। इससे पहले पूर्व सैनिकों ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।
एसोसिएशन के राज्य सचिव सूबेदार (सेनि) अशोक नेगी ने कहा कि असम राइफल्स अपने कर्तव्यों का निर्वहन रक्षा मंत्रालय के अधीन कर रही है, जबकि सुविधाएं गृह मंत्रालय के माध्यम से जो अर्द्धसैनिक बलों को मिलती हैं वह मिल रही है। यह बड़ी विडंबना है कि सेना के अधीन रहकर एक वर्दीधारी 24 घंटे सेवा करते हैं, पर सुविधा आठ घंटे की ड्यूटी करने वाले केंद्रीय कर्मचारी की तरह मिलती है। उन्होंने कहा कि असम राइफल्स को पूर्ण रूप से सेना में समाहित किया जाना चाहिए।
आजादी के बाद से अब तक सेना के अधीन रहकर असम राइफल्स ने कई वीरता पदक व प्रशंसा पत्र प्राप्त किए हैं। सेना की किसी इंफैंट्री बटालियन की तरह ही इसके साहस व शौर्य के असंख्य किस्से इतिहास में दर्ज हैं। फिर भी उनके साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है। धरने में सेवानिवृत्त कमांडेंट आरएस नेगी, कमांडेंट एसएस नेगी, कमांडेंट ओमप्रकाश, कमांडेंट मूर्ति सिंह सजवाण, हवलदार कांता सिंह आदि उपस्थित रहे।
ये रखी मांग
- दोहरी कमान नीति व दोहरे नाम को समाप्त करें।
- सरकार द्वारा थोपे गए बिजनेस रूल 1961 को समाप्त किया जाए।
- समान कार्य के लिए समान वेतन और समान पेंशन नीति लागू करें।
- असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन का लाभ
- वर्ष 2004 के बाद सेवारत सैनिकों को भी पूर्व की भांति पुरानी पेंशन प्रणाली।
- रेंज हेडक्वार्टर में सेना के अधिकारियों की ही तरह असम राइफल्स के सेवारत सैनिकों व अधिकारियों को भी 60 दिन का अवकाश।
- असम राइफल्स को रक्षा मंत्रालय के अधीन किया जाए।
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