उत्तराखंड : चार साल बाद एस्केप चैनल का शासनादेश निरस्त
हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की धारा को चार साल बाद उस शासनादेश से निजात मिल गई है जिसमें उसे एस्केप चैनल (नहर) घोषित किया गया था। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में शासन ने बुधवार को इस शासनादेश को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की धारा को चार साल बाद उस शासनादेश से निजात मिल गई है, जिसमें उसे एस्केप चैनल (नहर) घोषित किया गया था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में शासन ने बुधवार को इस शासनादेश को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। अलबत्ता, हरकी पैड़ी क्षेत्र में तटीय विकास व निर्माण कार्यों के सिलसिले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सभी प्रविधान लागू रहेंगे।
पिछली कांग्रेस सरकार ने 24 दिसंबर 2016 को हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की धारा को एस्केप चैनल घोषित करने का शासनादेश निर्गत किया था। यानी, इस धारा को तब गंगा का मुख्य भाग नहीं माना गया। तब से संत समाज इसे लेकर गुस्से में था और इस शासनादेश को निरस्त करने की मांग उठाई जा रही थी। इस साल जुलाई में यह मसला तब गरमाया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अपनी सरकार के इस फैसले पर अफसोस जताते हुए इसे उनकी भूल करार दिया था।
इसके बाद तो एस्कैप चैनल का मुद्दा सियासी गलियारों में खूब गूंजा। भाजपा ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए उसकी गलती को सुधारने की बात कही थी। साथ ही तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी साफ किया कि एस्केप चैनल संबंधी शासनादेश को प्रदेश सरकार निरस्त करेगी। इस बीच हरिद्वार में गंगा सभा की ओर से यह शासनादेश निरस्त करने की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया गया। 22 नवंबर को मुख्यमंत्री ने गंगा सभा के पदाधिकारियों से बातचीत के दौरान अधिकारियों को एस्केप चैनल का शासनादेश निरस्त करने के आदेश दिए थे।
हालांकि, इस बीच शासन स्तर पर इसे लेकर सभी पहलुओं पर मंथन चल रहा था। वजह ये कि मैदानी क्षेत्रों में गंगा व उसकी सहायक नदियों के किनारे अपेक्षित रेग्यूलेशन पॉलिसी, निर्माण कार्य के लिए गाइडलाइन व बायलॉज निर्गत करने संबंधी एनजीटी के दिशा-निर्देशों के क्रम में 2016 में यह आदेश जारी किया गया था। अब शासन ने इस शासनादेश में शामिल उस बिंदु को निरस्त कर दिया है, जिसमें हरकी पैड़ी को एस्केप चैनल घोषित किया गया था। सचिव आवास शैलेश बगौली के अनुसार गंगा व उसकी सहायक नदियों के संबंध में एनजीटी के जो भी प्रविधान हैं, वे हरकी पैड़ी क्षेत्र में लागू रहेंगे।
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