Move to Jagran APP

पर्यावरणविदों ने ईको फ्रेंडली दीपावली मनाकर खुशियां बांटने की दी सलाह

दीपावली का देश में विशेष महत्व है। परंपराओं और मान्यताओं के सम्मान में दीपावली पर खूब जश्न भी मनाया जाता है लेकिन इस जश्न के बीच हम अपनी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को जरूर भूल जाते हैं। आतिशबाजी की होड़ में लोग ध्वनि और वायु प्रदूषण का विस्फोट करते हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 07:28 PM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 07:28 PM (IST)
पर्यावरणविदों ने ईको फ्रेंडली दीपावली मनाकर खुशियां बांटने की दी सलाह
दीपावली को लेकर दीये की खरीदारी करती महिलाएं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: दीपावली का देश में विशेष महत्व है। परंपराओं और मान्यताओं के सम्मान में दीपावली पर खूब जश्न भी मनाया जाता है, लेकिन इस जश्न के बीच हम अपनी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को जरूर भूल जाते हैं। आतिशबाजी की होड़ में लोग ध्वनि और वायु प्रदूषण का विस्फोट करते हैं, जिसके दूरगामी परिणाम मानव शरीर को ही भुगतने पड़ रहे हैं। इस बार दीपावली मनाएं तो खुशियां बांटें और सौहार्द बढ़ाए, न कि प्रदूषण बढ़ाकर खुद के स्वास्थ्य से खेलें। यह अपील प्रदेश के प्रख्यात पर्यावरणविदों ने की है। उन्होंने अधिक ध्वनि और वायु प्रदूषण वाले पटाखे जलाने से परहेज करने की अपील की है। साथ ही दीपक जलाकर रोशनी फैलाने का संदेश दिया।

loksabha election banner

पर्यावरणविद एवं हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण का महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां हिमालय और गंगा की सुरक्षा अधिक विचारणीय है। हिमालय बचेगा तो ही जीवन सुरक्षित रह सकता है। पटाखों की दीपावली प्रकृति का दीवाला निकाल रही है। दीपावली हषरेल्लास के साथ मनाएं, लेकिन यही प्रयास रहे कि पर्यावरण की सेहत न बिगड़े। ईको फ्रेंडली दीपावली मनाएं और जग में खुशियां फैलाएं। पर्यावरणविद एवं मैती आंदोलन के प्रणोता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर ग्लोबल वार्मिग और पिघल रहे ग्लेशियर के रूप में नजर आ रहा है। ऐसे में कोरोना महामारी ने भी इस बात को साबित किया है कि पर्यावरण को बचाकर ही हम जीवन बचा सकते हैं। पटाखों से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। जबकि, ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव बढ़ता है।

यह भी पढ़ें- गाय के गोबर से बने उत्पादों को बनाया रोजगार का जरिया, इन उत्पादों को किया जा रहा पसंद

दि अर्थ एंड क्लाइमेट इनिशिएटिव की संस्‍थापक डा. आंचल शर्मा का कहना है कि लगातार बढ़ती आबादी और शहरों में अनियंत्रित विकास के कारण पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है। वाहनों से उत्पन्न वायु प्रदूषण हिमालय समेत पूरे वन क्षेत्रों के लिए खतरा बना हुआ है। ऐसे में आतिशबाजी से इस खतरे को हम और बढ़ा देते हैं। ईको फ्रेंडली दीपावली मनाकर भी त्योहार का उल्लास बरकरार रहता है।

यह भी पढ़ें- पौष्टिकता और औषधियों से भरी हैं उत्तराखंड की ये दालें, खूब खाइये और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाइये


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.