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गजब: देहरादून से ही कर ली पौड़ी में आनलाइन ज्वाइनिंग, जानिए क्‍या है पूरा मामला

पेयजल निगम में तो शासन स्तर से तबादला होने के बावजूद एक मुख्य अभियंता दून का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। 15 दिन पहले पौड़ी में ज्वाइनिंग का आदेश जारी होने के बाद भी वह दून में डटे हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 07:10 AM (IST)
गजब: देहरादून से ही कर ली पौड़ी में आनलाइन ज्वाइनिंग, जानिए क्‍या है पूरा मामला
5 दिन पहले पौड़ी में ज्वाइनिंग का आदेश जारी होने के बाद भी वह दून में डटे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारियों को सुगम में तैनाती से कितना प्यार है यह तो सभी जानते हैं, तमाम अधिकारी सुगम में काबिज रहने को कई तरह से सेटिंगग-गेटिंग करते रहते हैं। लेकिन, पेयजल निगम में तो शासन स्तर से तबादला होने के बावजूद एक मुख्य अभियंता दून का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। 15 दिन पहले पौड़ी में ज्वाइनिंग का आदेश जारी होने के बाद भी वह दून में डटे हैं। हैरानी तो यह कि उन्होंने यहीं बैठे-बैठे पौड़ी में आनलाइन ज्वाइनिंग भी कर ली है। संभव है कि पहाड़ों में जनहित के कार्य भी धरातल पर कुछ इसी प्रकार उतरते होंगे।

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उत्तराखंड पेयजल निगम वैसे तो अव्यवस्थित कार्यों और योजनाओं में गड़बड़ी के लिए चर्चाओं में रहता ही है, लेकिन अक्सर यहां अधिकारियों की मनमानी भी चर्चा का विषय बन जाती है। केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना का जिम्मा भी निगम के पास है। ऐसे में चुनावी वर्ष में यह कार्य भी तेजी से पूर्ण किए जाने हैं। लेकिन अधिकारियों की मनमानी सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने का कार्य कर रही हैं। बीते 11 अगस्त को पेयजल निगम मुख्यालय में कार्यरत प्रभारी मुख्य अभियंता (मुख्यालय) केके रस्तोगी का पौड़ी स्थानांतरण कर दिया गया।

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वह मुख्यालय से रिलीव हो गए, लेकिन अभी तक पौड़ी नहीं पहुंचे। लगभग 15 दिन बीत जाने के बाद भी वह दून में ही हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने दून से आनलाइन ज्वाइनिंग दे दी है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पौड़ी कार्यालय से डिस्पैच नंबर मंगवाकर ज्वाइनिंग दी है, जबकि ज्वाइनिंग के समय संबंधित कार्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य होता है। पौड़ी जिले में पेयजल की अक्सर किल्लत रहती है और प्रदेश व केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत विभिन्न कार्य भी जिले में किए जाने हैं। ऐसे में अधिकारियों के पहाड़ न चढऩे से योजनाओं को पलीता लगना भी तय है। इस पर अभी तक विभागाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया है। हालांकि, कर्मचारी संगठन जरूर मुख्य अभियंता पर कार्रवाई की मांग करने लगे हैं।

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