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आठ सूत्रीय मांगों को लेकर सचिवालय कूच करेंगे कर्मचारी

आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत अधिकारी व कर्मचारी उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के बैनर तले सोमवार को सचिवालय कूच करेंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 03:29 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 03:29 PM (IST)
आठ सूत्रीय मांगों को लेकर सचिवालय कूच करेंगे कर्मचारी
आठ सूत्रीय मांगों को लेकर सचिवालय कूच करेंगे कर्मचारी

देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति में आरक्षण के विरोध समेत आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत अधिकारी व कर्मचारी उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के बैनर तले सोमवार को सचिवालय कूच करेंगे। इससे पूर्व प्रदेश भर के अधिकारी व कर्मचारी परेड ग्राउंड में एकत्रित होंगे, जहां महारैली होगी। इस दौरान आंदोलन के आखिरी और निर्णायक चरण के रूप में अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि भी घोषित की जा सकती है। 

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पदोन्नति पर लगी रोक हटाने व आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने को लेकर बीती छह जनवरी से समन्वय मंच आंदोलनरत हैं। आंदोलन के तहत छह से 14 जनवरी तक जनजागरण कार्यक्रम के तहत मंत्रियों व विधायकों को ज्ञापन सौंपा गया। 22 जनवरी को राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर सरकार का मांगों पर ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की गई। समन्वय मंच के मुख्य संयोजक नवीन कांडपाल ने कहा कि चरणबद्ध आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से अब तक कोई संदेश नहीं आया है। ऐसे में साफ है कि सरकार अपनी हठधर्मिता पर कायम है। ऐसे में सोमवार को परेड ग्राउंड में होने वाली महारैली के बाद सचिवालय कूच किया जाएगा। 

नौ संगठनों ने दिया समर्थन

समन्वय मंच के प्रांतीय प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के आंदोलन को कर्मचारियों के नौ संगठनों ने समर्थन दिया है। इसमें प्रमुख तौर से राजकीय वाहन चालक महासंघ, पर्वतीय शिक्षक महासंघ, चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ व अन्य संगठन शामिल हैं। 

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यह हैं प्रमुख मांगें

  • पदोन्नति से रोक हटाई जाए।
  • यू हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सुविधा दी जाए।
  • तीन पदोन्नति या सेवाकाल में 10, 16 व 26 वर्ष पर पदोन्नत वेतनमान अनिवार्य रूप से दिया जाए।
  • पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
  • सेवाकाल के अंतिम एक वर्ष में ऐच्छिक स्थान पर तैनाती दी जाए।
  • इंदु कुमार पांडे कमेटी की कर्मचारी विरोधी निर्णयों को लागू न किया जाए।
  • विभिन्न संवर्गीय संगठनों के साथ किए गए समझौते के अनुरूप शासनादेश जारी किए जाएं।

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