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उत्तराखंड: कोषागारों के गलियारे में गबन का गिरोह, अधिकारियों की मिलीभगत से हो चुका करोड़ों का गबन

शासन सत्ता के सिस्टम में कोषागार सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। राज्यों में भी जिला और तहसील स्तर पर कोषागार और उप कोषागार स्थापित हैं। जिससे जिले और तहसील में कर्मचारियों का वेतन पेंशन और विकास योजनाओं का पारदर्शिता के साथ भुगतान हो सके।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 08:28 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 08:28 PM (IST)
उत्तराखंड: कोषागारों के गलियारे में गबन का गिरोह, अधिकारियों की मिलीभगत से हो चुका करोड़ों का गबन
उत्तराखंड राज्य के अधिकांश जिला कोषागार और उप कोषागार में अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का गबन हुआ है।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : शासन सत्ता के सिस्टम में कोषागार सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। राज्यों में भी जिला और तहसील स्तर पर कोषागार और उप कोषागार स्थापित हैं। जिससे जिले और तहसील में कर्मचारियों का वेतन, पेंशन और विकास योजनाओं का पारदर्शिता के साथ भुगतान हो सके। लेकिन, हाल के दिनों में कोषागारों में पारदर्शिता के बजाय गबन के खुलासे हो रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य में इस गबन की एक चेन बनी हुई है। यह गिरोह गढ़वाल से लेकर कुमांऊ तक के कोषागारों में अपनी जड़े जमाया हुआ है। उत्तराखंड राज्य के अधिकांश जिला कोषागार और उप कोषागार में अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का गबन हुआ है।

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पिछले छह वर्षों से हो रहे इस गबन के खेल का शासन को भी समय से पता नहीं चला है। लेकिन जब गबन की परत खुलनी शुरू हुई तो शासन के निर्देशों पर हुई शुरुआती जांच में नैनीताल कुश्याकटौली के कोषागार में करीब 15 लाख, उत्तरकाशी कोषागार में करीब 50 लाख, नई टिहरी कोषागार में 1.42 करोड़, नरेंद्रनगर उप कोषागार में 1.48 करोड़, पौड़ी कोषागार में 20 लाख, श्रीनगर के उप कोषागार में करीब 40 लाख का गबन का खुलासा हुआ है। इसमें कुछ आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि कुछ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अभी तक इन कोषागारों और उप कोषागारों में गबन की जांच पूरी नहीं हुई है। जांच पूरी होगी तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आ सकती है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि अगर जांच सही ढंग से हो तो कोषागार के बड़े जिम्मेदार अधिकारियों की भी गबन में संलिप्ता की पोल खुल सकती है।

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इसके साथ ही अन्य जनपदों के उप कोषागार में भी गबन का खुलासा हो सकता है। जानकार बताते हैं कि अभी तक जिन कोषागारों में गबन का खुलासा हो चुका है। उनके अध्ययन से पता चलता है कि कोषागारों में बैठकर गबन करने वालों ने एक तरह की रणनीति के तहत गबन करने का षडय़ंत्र रचा है। जिससे करोड़ों की धनराशि अपने खातों में हस्तांतरित की है।

उत्तरकाशी पीजी कालेज उत्तरकाशी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रदीप सुमन ने कहा कि पूरे प्रदेश में यह एक गिरोह है। इसकी एसआइटी जांच होनी चाहिए जिन्होंने कोषागारों में मृतक पेंशनरों की पेंशन को ही डकार दिया है। इसके लिए सभी ने कोषागारों के कंप्यूटरों में गड़बड़ी की गई। यह पेंशन की धनराशि अपने और अपने परिचितों के खाते में ट्रांसफर की।

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