Move to Jagran APP

शिक्षा विभाग में एक और गड़बड़झाला, सहायक अध्यापकों को दे दिया इंक्रीमेंट

शिक्षा विभाग में अधिकारियों के एक के बाद एक नए कारनामे सामने आ रहे हैं। इस बार औपबंधिक रूप से नियुक्त इन सहायक अध्यापकों को कुछ जिलों में इंक्रीमेंट दे दिया गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 02:27 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 02:27 PM (IST)
शिक्षा विभाग में एक और गड़बड़झाला, सहायक अध्यापकों को दे दिया इंक्रीमेंट
शिक्षा विभाग में एक और गड़बड़झाला, सहायक अध्यापकों को दे दिया इंक्रीमेंट

देहरादून, [जेएनएन]: शिक्षा विभाग में अधिकारियों के एक के बाद एक नए कारनामे सामने आ रहे हैं। इस बार मामला हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक पद पर समायोजित शिक्षकों का है। औपबंधिक रूप से नियुक्त इन सहायक अध्यापकों को कुछ जिलों में इंक्रीमेंट दे दिया गया। अब मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग ने सभी सीईओ से इस बावत जानकारी मांगी गई है। उनसे इंक्रीमेंट पाने वाले शिक्षा मित्र सहायक अध्यापकों की संख्या ली जा रही है।

loksabha election banner

बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश पर पांच जनवरी 2015 को शिक्षा विभाग ने टीईटी विहीन 1500 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। इनकी नियुक्ति स्थायी नहीं थी। हाईकोर्ट में जारी एक केस की सुनवाई के दौरान मिले निर्देश के अनुसार यह केवल औपबंधिक नियुक्ति थी। यदि हाईकोर्ट टीईटी को अनिवार्य करता तो टीईटी विहीन शिक्षा मित्रों की नौकरी समाप्त हो जाती, पर हरिद्वार, टिहरी समेत कुछ जिलों में पांच जनवरी 2015 से इन समायोजित शिक्षकों को इंक्रीमेंट भी देना शुरू कर दिया गया। अपर निदेशक-बेसिक वीएस रावत के अनुसार इंक्रीमेंट नियमित नियुक्ति के बाद दिया जाता है। गलत ढंग से इंक्रीमेंट देने वाले अफसरों का जवाब तलब किया जा रहा है। उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। 

जीबी पंत विवि में चार लाख का हिसाब नहीं

जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक अधिकारी ने वर्ष में चार लाख रुपये अग्रिम रूप से आहरित किए थे, जबकि उसका समायोजन आज तक नहीं कराया गया। जिससे यह स्पष्ट ही नहीं हो पाया कि इस धनराशि से क्या-क्या खरीद की गई है। राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए वित्त नियंत्रक को तीन माह के भीतर खर्चों का हिसाब स्पष्ट कराने के निर्देश दिए।

विश्वविद्यालय के कार्मिक डॉ. एसके कश्यप ने चार लाख रुपये इस आशय के साथ अग्रिम रूप से प्राप्त किए थे कि इससे मई 2017 तक कई सामान खरीदे जाने हैं।

डेरी फार्म नगला (ऊधमसिंह नगर) निवासी भीष्म सिंह ने इस राशि के हिसाब को लेकर आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। तय समय के भीतर जानकारी न मिलने पर उन्होंने आयोग का दरवाजा खटखटाया। प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने इसे गंभीर प्रकरण मानने के साथ ही कहा कि इतनी लंबी अवधि तक सरकारी धन को अपने पास रखना किसी भी दशा में न्याय संगत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राशि के हिसाब के बाद जो बिल आदि प्राप्त हों, उनकी सत्यापित छायाप्रति अपीलार्थी को निश्शुल्क उपलब्ध करा दें।

यह भी पढ़ें: गोदाम से खाद्यान्न आवंटन न करने पर जांच के आदेश

यह पढ़ें: पर्यावरणीय मानकों का मखौल उड़ाने पर सिडकुल और खेल विभाग समेत 21 को नोटिस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.