शहरों में भवन का नक्शा पास कराना सस्ता और सरल, पढ़िए पूरी खबर
जिला विकास प्राधिकरणों में आ रही जटिलताओं को दूर करने के लिए शहरी विकास एवं आवास मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में प्राधिकरणों में सब डिविजनल चार्ज को पांच फीसद से घटाकर एक फीसद करने की संस्तुति की गई।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। शहरों के अविकसित क्षेत्रों के निवासियों को सरकार अब बड़ी राहत देने की तैयारी में है। जिला विकास प्राधिकरणों में आ रही जटिलताओं को दूर करने के लिए शहरी विकास एवं आवास मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में प्राधिकरणों में सब डिविजनल चार्ज को पांच फीसद से घटाकर एक फीसद करने की संस्तुति की गई। इससे इन क्षेत्रों में भी भवन का नक्शा पास कराना सस्ता होगा। इसके साथ ही एकल आवासीय मानचित्र कामन सर्विस सेंटर में जमा करने की व्यवस्था और प्राधिकरण की ओर से नक्शों के संबंध में अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की भी सिफारिश की गई। मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने प्राधिकरणों में लिए जाने वाले चार अन्य शुल्कों को एक करने पर भी जोर दिया है।
शहरों के विकसित और अविकसित (जहां मूलभूत सुविधाएं जुटाई जानी हैं) क्षेत्र में भवन नक्शा पास करने के लिए विकास प्राधिकरणों द्वारा सर्किल रेट के हिसाब से सब डिविजनल शुल्क लिया जाता है। विकसित क्षेत्रों में इसकी दर सर्किल रेट का एक फीसद और अविकसित क्षेत्रों में पांच फीसद है। प्राधिकरणों का कहना है कि अविकसित क्षेत्रों में सुविधाएं जुटाने पर खर्च अधिक आता है। ऐसे में वहां पांच फीसद शुल्क रखा गया है। सूरतेहाल, इन क्षेत्रों में नक्शा पास कराना काफी महंगा पड़ता है। इस लिहाज से अब शहरों के सभी क्षेत्रों के निवासियों को राहत देने की तैयारी है। जिला विकास प्राधिकरणों को लेकर शहरी विकास एवं आवास मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की शुक्रवार को विधानसभा भवन में हुई बैठक में उक्त मसले समेत अन्य विषयों पर चर्चा की गई। उपसमिति के सदस्य कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, अरविंद पांडेय के अलावा शहरी विकास व आवास विभाग के अधिकारियों ने भी बैठक में शिरकत की।
महायोजना व बिल्डिंग बायलाज में संशोधन
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में राज्य महायोजना के साथ ही बिल्डिंग बायलाज में संशोधन की संस्तुति भी की गई। यह सुझाव दिया गया कि घर बनाने के लिए पर्वतीय क्षेत्र में न्यूनतम सौ वर्ग मीटर और मैदानी क्षेत्र में 250 वर्ग मीटर भूमि की सीमा रखी जाए। इसके अलावा चार हजार वर्ग मीटर तक का अधिकार विकास प्राधिकरणों और इससे ऊपर का अधिकार उडा (उत्तराखंड अरबन डेवलपमेंट अथारिटी) को देने की संस्तुति की गई।
पहाड़वासियों को मिलेगी राहत
बैठक में यह बात भी उठी कि पर्वतीय क्षेत्र में भवन निर्माण के मद्देनजर नक्शे तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट मिलना मुश्किल रहता है। सिफारिश की गई कि इस संबंध में प्राधिकरणों की वेबसाइट पर भवन के पांच तरह के नक्शे अपलोड किए जाएं। इससे घर बनाने के इच्छुक व्यक्ति इनके आधार पर नक्शे बनवा सकते हैं। जो लोग सक्षम हैं, वे आर्किटेक्ट से नक्शा बनवा सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों को नक्शे के झंझट से छूट
राज्य में वर्ष 2016 से पहले गठित विकास प्राधिकरणों और अधिसूचित विनियमित क्षेत्रों में ही भवन नक्शे पास कराने की बाध्यता होगी, अन्य क्षेत्रों में नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों को नक्शे पास कराने की परिधि से पूरी तरह बाहर रखने की मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने संस्तुति की है।
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