पछवादून में धूल का गुबार छाया, लोग रहे परेशान
संवाद सहयोगी, विकासनगर: गुरुवार को पछवादून के आसमान में दिन भर धूल का गुबार छाया रहा। चढ़ते पारे के
संवाद सहयोगी, विकासनगर: गुरुवार को पछवादून के आसमान में दिन भर धूल का गुबार छाया रहा। चढ़ते पारे के साथ मौसम में हुए परिवर्तन ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी। दिन में विजिबिलिटी कम रहने से लोगों को परेशानी रही। वहीं धूल से संास और दमा रोगियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों ने घर से बाहर निकलने से पहले सुरक्षा के इंतजाम करने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि एलर्जी और धूल से परेशानी उठानी पड़ सकती है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद गुरुवार सुबह से ही पछवादून को धूल ने अपने आगोश में ले लिया था। देर शाम हुई बारिश से कुछ हद तक धूल के गुबार से राहत मिलती नजर आयी।
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धूल से होने वाली बीमारी
सीएचसी साहिया के बाल रोग विशेषज्ञ व जनरल फिजिशियन डॉ. केसर ¨सह चौहान ने बताया कि एलर्जी, दमा, सांस लेने में परेशानी होना सिलकोसिस जैसी बीमारिया के लक्षण हैं। उन्होंने ऐसी शिकायत होने पर चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी बताया।
एलर्जी: धूल से एलर्जी होने पर मरीज को बुखार चढ़ सकता है। इसके कारण आंखों में जलन, पानी बहना, छीकें आना और कफ की शिकायत, गले में खरास हो सकती है।
अस्थमा: ज्यादा समय तक धूल से एलर्जी और अस्थमा की शिकायत हो सकती है।
एग्जिमा: एक्जिमा या खुलजी होना भी धूल से एलर्जी का एक लक्षण है। इसमें त्वचा लाल पड़ जाती है और खुजली होती है। कई बार त्वचा फूल जाती है और खाल निकलने लगती है। बच्चों में अक्सर यह देखने को मिलता है।
सिलकोसिस: धूल की वजह से सिलिकोसिस होती है। धूल सांस के साथ फेफड़ों तक जाती है। यह खासकर पत्थर, रेत-बालू, पत्थर तोड़ने के क्रेशर, कांच-उद्योग, मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग, पत्थर को काटने और रगड़ने जैसे उद्योगों के मजदूरों में पाई जाती है। सिलिका कण सांस के द्वारा फेफड़ों के अंदर तक पहुंच जाते हैं लेकिन बाहर नहीं निकल पाते। बीमारी से बचाव: डॉ. केएस चौहान के अनुसार वायु प्रदूषण से बचने के लिए घर से बाहर मास्क लगाकर निकलना चाहिए। बिना जरूरत के घर से बाहर न निकलें। अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन किया जाना चाहिए।