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Dussehra 2020: विधि-विधान से हुआ राजपरिवार के शस्त्रों का पूजन, लंबे समय से चली आ रही है परंपरा

पुराना दरबार ट्रस्ट ने पारंपरिक त्योहार दशहरा को पूरे विधि-विधान से मनाया। गढ़वाल के राजाओं की प्राचीन और महत्वपूर्ण परंपरा को ध्यान में रखते हुए पुराना दरबार की ओर से शस्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित कर मां राजराजेश्वरी और गढ़वाल के राज परिवारों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की गई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 03:58 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 03:58 PM (IST)
Dussehra 2020: विधि-विधान से हुआ राजपरिवार के शस्त्रों का पूजन, लंबे समय से चली आ रही है परंपरा
Dussehra 2020: विधि-विधान से हुआ राजपरिवार के शस्त्रों का पूजन।

देहरादून, जेएनएन। पुराना दरबार ट्रस्ट ने पारंपरिक त्योहार दशहरा को पूरे विधि-विधान से मनाया। गढ़वाल के राजाओं की प्राचीन और महत्वपूर्ण परंपरा को ध्यान में रखते हुए पुराना दरबार की ओर से शस्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित कर मां राजराजेश्वरी और गढ़वाल के राज परिवारों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की गई। शस्त्र पूजन में भगवान केदारनाथ के प्रसाद के रूप में ब्रह्म कमल और भगवान बदरीनाथ के प्रसाद के रूप में तुलसी माला दोनों मंदिरों के पुरोहितों ने भिजवाई थी। 

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चंद्रलोक कॉलोनी, राजपुर रोड़ स्थित पुराना दरबार म्यूजियम में आयोजित शस्त्र पूजन के दौरान टिहरी राजवंश के वंशज और पुराना दरबार के ट्रस्टी ठाकुर भवानी प्रताप ने बताया कि पौराणिक काल से ही उत्तराखंड में दशहरे का विशेष महत्व रहा है। गढ़वाल राज्य में पंवार वंश ने दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान शुरू करवाया था। 

मान्यता है कि राज परिवार की ओर से दशहरे पर आयोजित होने वाले अनुष्ठानों में दक्ष, किन्नर, गंध और देवी-देवता मौजूद रहते थे। महाराज कनकपाल ने चांदपुर गढ़ी में छठवीं शताब्दी में यह परंपरा शुरू की, जिसके बाद देवलगढ़, श्रीनगर और टिहरी में भी इसका काफी प्रसार हुआ। उन्होंने बताया कि इस दिन राज अवकाश भी होता था। त्योहार के दिन जागीरदार, थोकदार और हक-हुकूकदारी दरबार की पूजाओं में शामिल होते थे। 

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राजवंशीय अरोध्य देवी मां राज राजेश्वरी की पूजा के बाद शस्त्रों की पूजा होती थी। ठाकुर भवानी ने कहा कि अपनी इन्हीं परंपराओं को जीवित रखने के लिए पुराना दरबार की ओर से दशहरे के मौके पर हर साल शस्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर राजपरिवार के सदस्यों में ठाकुर भवानी प्रताप, ठाकुर कीर्ति प्रताप, डॉ. योगंबर सिंह बर्थवाल, मोहन सिंह नेगी, हरीश डिमरी, डॉ अर्चना डिमरी, कुसुम रावत, बद्री प्रसाद उनियाल, सागर जी महाराज आदि मौजूद रहे।

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