खेल प्रेमियों को राह दिखा रहे हैं दृष्टिहीन दुर्गादास, जानिए इनका अनोखा सफर
दुर्गादास बताते हैं कि पहले तो लोगों ने उनका खूब मजाक बनाया। कहते थे, खुद तो देख नहीं पाता, क्या खाक क्रिकेट टूर्नामेंट करवाएगा।
देवप्रयाग, डॉ. प्रभाकर जोशी। टिहरी जिले के देवप्रयाग ब्लॉक स्थित सुदूर खरसाड़ी गांव के 39 वर्षीय दुर्गादास दृष्टिहीन जरूर हैं, लेकिन क्रिकेट के जुनून ने उन्हें खेल प्रेमियों का प्रेरणा स्रोत बना दिया। इसी जुनून के चलत वह पिछले दो दशक से युवाओं के बीच लगातार क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करवा रहे हैं। वे कहते हैं, बचपन में रेडियो पर क्रिकेट मैचों की कमेंट्री सुन-सुनकर उनकी क्रिकेट के प्रति दीवानगी बढ़ती गई। फिर तो उन्होंने जीवन को क्रिकेट के लिए ही समर्पित कर दिया।
परंपरागत रूप से लोकवादक परिवार से जुड़े दुर्गादास आज क्षेत्र में खेल प्रेमियों के चहेते बन चुके हैं। दृष्टिहीन होने के कारण वे पढ़-लिख नहीं पाए, लेकिन कानों से सुनकर ही उन्होंने खेल और वाद्यकला में महारथ हासिल कर ली। बकौल दुर्गादास, '15 वर्ष की उम्र से मैं रेडियो पर क्रिकेट की कमेंट्री सुनने लगा था। धीरे-धीरे इसमें इतनी रुचि आने लगी कि मन की आंखों से ही बल्लेबाज के हर शॉट और गेंदबाज के हर एक्शन का अनुमान लगाने लगा। फिर तो क्रिकेट मेरा प्रिय खेल बना गया।' जब दुर्गादास 21 वर्ष के थे, तब उनके मन में विचार आया कि क्यों न खरसाड़ी में क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू कराया जाए। तय हुआ कि हर साल दिसंबर में कुंजापुर क्रिकेट टूर्नामेंट नाम से यह आयोजन होगा।
दुर्गादास बताते हैं कि पहले तो लोगों ने उनका खूब मजाक बनाया। कहते थे, खुद तो देख नहीं पाता, क्या खाक क्रिकेट टूर्नामेंट करवाएगा। लेकिन, वह इस सबसे विचलित नहीं हुए और पक्के इरादों के साथ अपने संकल्प को अमलीजामा पहनाया। नतीजा, आज इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए टिहरी और पौड़ी जिले की कई टीमें लालायित रहती हैं। कहते हैं अब तो विभिन्न संस्थाएं, जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के लोग भी इस आयोजन में खुशी-खुशी सहयोग करते हैं।
माइकल बेवन के दीवाने
अविवाहित दुर्गादास के पसंदीदा क्रिकेटर ऑस्ट्रेलिया के माइकल बेवन हैं। इसके अलावा वह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, अजय जडेजा और विराट कोहली के भी फैन हैं। वह चाहते हैं कि क्षेत्र की प्रतिभाएं भी इसी तरह क्रिकेट में महारथ हासिल कर प्रदेश और देश का नाम रोशन करें।
आगे बढ़ा रहे ढोल सागर की विधा
अपने दादा रतनदास और पिता कुंदी दास से विरासत में मिली ढोल सागर की कला को भी दुर्गादास आगे बढ़ा रहे है। उनके गाए कृष्ण नागराजा व गंगू-रमोला के जागर समेत अन्य गीत यू-ट्यूब पर खूब पसंद किए जाते हैं। दुर्गादास कहते हैं कि सरकार को पहाड़ों में स्टेडियम बनाकर खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
क्रिकेट बना क्षेत्र का पसंदीदा खेल
समाजसेवी एवं ग्राम पंचायत बमाणा के प्रधान रतन सिंह राणा बताते हैं कि दुर्गादास ने क्षेत्र में क्रिकेट को युवाओं का सबसे पसंदीदा खेल बना दिया है। यदि सरकार भी उनकी इस पहल को आगे बढ़ाए तो निश्चित रूप से नई प्रतिभाएं आगे आएंगी।