आनलाइन दवा बिक्री के खिलाफ दवा प्रतिनिधियों की हड़ताल, कहा- मांगें नहीं मानी तो बड़े आंदोलन के लिए हैं तैयार
नलाइन दवा बिक्री बंद करने और काम के घंटे तय करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर दवा प्रतिनिधि व होलसेल केमिस्ट बुधवार को हड़ताल पर रहे। उन्होंने सरकार से मांगों पर जल्द कार्रवाई की मांग की है। मांगों को नहीं मानती है तो वह बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: आनलाइन दवा बिक्री बंद करने और काम के घंटे तय करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर दवा प्रतिनिधि व होलसेल केमिस्ट बुधवार को हड़ताल पर रहे। उन्होंने सरकार से मांगों पर जल्द कार्रवाई की मांग की है।
उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रघुवीर गडिय़ा और प्रदेश सचिव अनिल पंवार ने चारों श्रम संहिताएं वापस लेने, दवा प्रतिनिधियों के लिए वैधानिक कार्य नियम, एसपी एक्ट का सख्ती से पालन, आनलाइन दवा कारोबार बंद करने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये घोषित करने, काम के लिए आठ घंटे तय करने, दवाओं के दाम कम कर जीएसटी मुक्त करने और सेल्स के नाम पर दवा प्रतिनिधियों का शोषण बंद करने की मांग की। उन्होंने बताया कि बुधवार को सभी जगह हड़ताल की गई। इसके बाद भी सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वह बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं।
हड़ताल में मोहित भट्ट, नवीन शर्मा, शिवराज चौहान, पंकज, विनोद थापा, रजत रावत, शुभम मिश्रा, सुरेशानंद, जगदंबा प्रसाद, विशाल अरोड़ा, संजय भट्ट, अब्दुल साजिद अंसारी, हिमांशु राजपूत सहित कई होलसेल केमिस्ट और मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल रहे।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने राज्य स्वास्थ्य योजना को अपग्रेड करने की उठाई मांग
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मिले निश्शुल्क ओपीडी सुविधा
ऋषिकेश: सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी पेंशनर्स को सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क ओपीडी सुविधा देने की मांग की है। संगठन ने चुनाव से पहले शासनादेश जारी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
बुधवार को सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन ढालवाला-मुनिकीरेती शाखा की वर्चुअल बैठक शूरवीर ङ्क्षसह चौहान की अध्यक्षता में संगठन भवन ढालवाला में आयोजित की गई। बैठक में प्रांतीय नेतृत्व के निर्देशानुसार गोल्डन कार्ड की कटौती बंद कि ए जाने और विकल्प पत्र भरे जाने पर सहमति अथवा असहमति पर विचार-विमर्श किया गया। कहा गया कि कोर्ट से केवल पेंशन से कटौती बंद करने के आदेश हैं। विकल्प पत्र मांगने के कोई आदेश नहीं हैं।
एक स्वर में पेंशन से कटौती बंद करने और उप्र की तर्ज पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत पेंशनरों को सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल की ओपीडी की सुविधा निश्शुल्क प्रदान करने की मांग की। बैठक में कोषाध्यक्ष जबर सिंह पंवार, मंत्री वीरेन्द्र पोखरियाल, संरक्षक हंसलाल असवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसडी पैन्यूली, पीडी डिमरी, बीपी उनियाल, जयपाल नेगी, गोपाल दत्त खंडूड़ी, जोत सिंह सुरियाल, निर्मला नेगी, पुष्पा उनियाल, शीला रतूड़ी, प्रेमावती पांडेय, महालक्ष्मी बिजल्वाण, मंजुला मिश्रा, अनिता सेमवाल, गीता चमोली, हृदयराम सेमवाल, जीपी बिजल्वाण, बीएम नौटियाल, जगदीश मैठाणी, प्रेम बहादुर थापा आदि मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित 25 मरीजों में ओमिक्रोन वैरिएंट, अबतक बढ़कर 118 हुई संख्या