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यहां फाइलों में तैर रहा है ड्रेनेज प्लान, 300 से 900 करोड़ हुई लागत

देहरादून के ड्रेनेज का मास्टर प्लान फाइलों में तैर रहा है। हर बार बारिश के बाद सड़कें जलमग्न होती हैं तो प्लान का सवाल भी तैरने लग जाता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 08:20 AM (IST)
यहां फाइलों में तैर रहा है ड्रेनेज प्लान, 300 से 900 करोड़ हुई लागत
यहां फाइलों में तैर रहा है ड्रेनेज प्लान, 300 से 900 करोड़ हुई लागत

देहरादून, [जेएनएन]: देहरादून के ड्रेनेज का मास्टर प्लान फाइलों में तैर रहा है। जिसकी लागत पिछले 10 सालों में 300 से बढ़कर करीब 900 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे-वैसे प्लान की बढ़ती लागत के आगे अधिकारियों का साहस भी जवाब देता जा रहा है। हर बार बारिश के बाद सड़कें जलमग्न होती हैं तो प्लान का सवाल भी तैरने लग जाता है। खुद को जनता का तारणहार बताने वाले नेता फाइलों में कैद ड्रेनेज प्लान को लेकर एक दूसरे को कठघरे में खड़ा करने लगते हैं। जबकि असल में अब तक ड्रेनेज के मास्टर प्लान को लेकर न तो महापौर, न ही पार्षद ने कोई ठोस पहल की है। 

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वर्ष 2008 में पहली बार शहर की जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कवायद शुरू की गई थी। इसकी जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई और करीब 300 करोड़ रुपये की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाई गई। इसे स्वीकृति के लिए शासन को भी भेज दिया गया था। हालांकि शहर की बेहद बड़ी समस्या को हल करने के लिए शासन के उच्चाधिकारियोंको यह राशि अधिक लगी, लिहाजा इस पर कोई त्वरित निर्णय नहीं लिया जा सका। न ही नगर निगम स्तर से कभी प्लान को स्वीकृति दिलाने के लिए खास प्रयास ही किए गए।

यही कारण रहा कि जब-जब बारिश में सड़कें जलमग्न हुईं तब प्लान पर चर्चा जरूर कर ली जाती। इसी कशमकश के बीच वर्ष 2012 में जब फिर से प्लान का जिन्न बाहर निकला तो पता चला कि इसकी लागत 450 करोड़ रुपये को पार कर गई है। तब पार्षदों ने प्लान पर आपत्ति लगा थी और नगर निगम को प्लान में सुधार लाने को कहा गया। इस संशोधन के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ पाई, जबकि अब यह प्लान करीब 900 करोड़ रुपये में तैयार हो पाएगा। वर्तमान में अधिकारी इसको लेकर हाथ खड़े करने वाली स्थिति में दिख रहे हैं। 

इस तरह परवान थी योजना 

रिस्पना से प्रिंस चौक   

मास्टर प्लान के तहत हरिद्वार रोड पर रिस्पना पुल से लेकर प्रिंस चौक तक दोनों तरफ गहरे व चौड़े नाले बनने थे, ताकि बारिश का पानी सड़कों पर न आ पाए। लोनिवि ने आराघर चौक से सीएमआई चौक व कुछ आगे तक थोड़ा काम किया, पर काम नियोजित तरीकेसे नहीं हो पाया। जबकि धर्मपुर में एलआईसी भवन, धर्मपुर आराघर चौक, सीएमआई चौक के पास, रेसकोर्स चौक से रोडवेज वर्कशाप तक बड़े पैमाने पर जलभराव होता है। 

धर्मपुर से मोथरोवाला रोड 

प्लान के तहत धर्मपुर से लेकर मोथरोवाला तक नालों का निर्माण होना था। ताकि पानी सड़क पर आने के बजाय नालों के जरिये निकल जाए। इस मार्ग पर धर्मपुर से मोथरोवाला रोड की तरफ ड्रेनेजे सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त है। यहां पर दोनों तरफ की नालियां कहीं पर चोक हैं तो कहीं टूटी हुई हैं। 

राजपुर रोड पर सौंदर्यीकरण तक सिमटा काम 

यहां पर अलग-अलग विभागों की ओर से कुछ काम किए गए, लेकिन वह मास्टर प्लान की ड्राइंग के हिसाब से कोई काम नहीं हुआ। सिर्फ बजट खर्च कर खानापूर्ति कर दी गई। राजपुर रोड पर ही एनआईवीएच के पास सड़क के दोनों तरफ सौंदर्यीकरण के काम हुए, लेकिन वहां पर पानी की निकासी के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। 

कांवली रोड व सीमाद्वार मार्ग पर खानापूर्ति 

ड्रेनेज के मास्टर प्लान के तहत कांवली रोड व सीमाद्वार मार्ग पर भी काम किए जाने थे। जिसके अंतर्गत नालों का निर्माण करकेपानी की निकासी को बेहतर बनाया जाना था।यहां इस दिशा में कुछ प्रयास किए गए, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता बेहतर न होने के चलते उसका लाभ नहीं मिल पाया। 

सहारनपुर रोड पर मास्टर प्लान की अनदेखी 

लोनिवि ने यहां पर नाले का निर्माण जरूर किया है, मगर मास्टर प्लान की अनदेखी की गई। जिसके चलते करीब दो दर्जन स्थलों पर ढाल दुरुस्त नहीं है। इसके चलते बारिश में पानी सड़कों पर बहने लगता है। खासकर इस पूरे मानसून सीजन में आइएसबीटी क्षेत्र जलमग्न रहा और लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। 

इन नालों की प्राकृतिक निकासी भी अधर में लटकी 

मास्टर प्लान के तहत पहले चरण में दून के छह बड़े नालों पर काम होना था। जिसमें मन्नूगंज, चोरखाला, गोविंदगढ़, भंडारी बाग, एशियन स्कूल व रेसकोर्स नाला था। इन नालों के ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने में 59.48 करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया था। हालांकि जब कुछ बात आगे बढ़ी ही नहीं तो इन पर भी काम कहां से हो पाता। 

इन इलाकों में भी होना था काम 

द्रोणपुरी, अलकनंदा एन्क्लेव, ब्रहमपुरी, चमनपुरी, अमन विहार, इंदिरा कालोनी, इंजीनियर्स एन्क्लेव (काम चल रहा, मगर मास्टर प्लान से इतर), इंदिरा गांधी मार्ग, आनंद विहार, मोहित नगर, रीठामंडी, प्रकाश विहार, साकेत कॉलोनी, राजीव नगर, वनस्थली, ब्योमप्रस्थ, राजीव नगर, केशव विहार, कालिदास रोड, लक्ष्मी रोड, बलवीर रोड, इंदर रोड, करनपुर रोड, त्यागी रोड, रेसकोर्स रोड, अधोईवाला, कारगी, मयूर विहार, गांधी रोड, गोविंदगढ, सालावाला रोड, यमुना कालोनी, पार्क रोड, कौलागढ़ रोड, कैनाल रोड, महारानीबाग आदि। 

अब सिंचाई विभाग व स्मार्ट सिटी कंपनी भी आजमाएंगे हाथ 

पेयजल निगम के मास्टर प्लान पर तो अमल नहीं लाया गया, जबकि अब यह बात सामने आ रही है कि सरकार इस काम को सिंचाई विभाग या देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी से भी करा सकती है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिंचाई विभाग से काम कराने की बात कही थी। हालांकि अब एक और बात सामने आई है कि स्मार्ट सिटी कंपनी भी ड्रैनेज प्लान पर कुछ कसरत कर रही है। फिर भी स्पष्ट रूप से कुछ भी सामने नहीं आ पा रहा। 

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