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योजनाओं के नीति निर्धारण में शोध अहम: प्रो. वैंकटेश्वर

दून विश्वविद्यालय में दस दिवसीय रिसर्च मैथोडोलोजी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अखिल भारतीय वाणिज्य संघ के अध्यक्ष प्रो. एच वैंकटेश्वर ने कहा कि उचित शोध प्रविधि का चयन शोधार्थियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 07:53 PM (IST)
योजनाओं के नीति निर्धारण में शोध अहम: प्रो. वैंकटेश्वर
योजनाओं के नीति निर्धारण में शोध अहम: प्रो. वैंकटेश्वर

जागरण संवाददाता, देहरादून : दून विश्वविद्यालय में दस दिवसीय रिसर्च मैथडोलोजी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अखिल भारतीय वाणिज्य संघ के अध्यक्ष प्रो. एच वैंकटेश्वर ने कहा कि उचित शोध प्रविधि का चयन शोधार्थियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहती है। क्योंकि शोध प्रविधि के माध्यम से ही शोध समस्या का विश्लेषण व व्याख्या की जाती है। इसलिए शोध प्रविधि में वैज्ञानिकता का पुट होना आवश्यक है।

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दून विवि के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की ओर से अखिल भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला मे प्रसिद्ध प्रबंधन गुरु व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो. आलोक सकलानी ने कहा कि दून विवि शैक्षणिक वातावरण के निर्माण की दिशा में अग्रसर है। इसलिए यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए उनके शोध कार्यो को प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगी। प्रो. सकलानी ने उचित शोध विधि चयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी देश व समाज के विकास में शोध का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि गुणवत्तायुक्त शोध से नीति निर्धारण में सहायता मिलती है व समाज को उसका शत फीसद लाभ मिल पाता है। प्रबंधन विभागाध्यक्ष प्रो. एचसी पुरोहित ने कहा कि प्रबंधशास्त्र विभाग विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के परिदृश्य सफलता अर्जित करने की दृष्टि से उनके ज्ञान व कौशल विकसित करने की दिशा में समर्पित है। कार्यशाला इसी कड़ी में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला का संचालन डॉ. प्राची पाठक ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रीना सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुधाशु जोशी, डॉ. वैशाली, डॉ. संध्या जोशी आदि उपस्थित रहे।

शोध की गुणवत्ता व शिक्षण प्रविधि अहम: कुलपति

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए दून विवि के कुलपति डॉ. सीएस नौटियाल ने कहा कि विवि की लगातार यह कोशिश है कि विद्यार्थियों को उचित शैक्षिक वातावरण मिल सके। इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने शिक्षण व शोध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी संस्थान की उत्कृष्टता वहा संचालित शोध की गुणवत्ता व शिक्षण प्रविधि पर निर्भर करती है। इसलिए शोध प्रविधि पर यह कार्यशाला शोधार्थियों को उनके शोध में गुणात्मक सुधार के लिए सहायक सिद्ध होगी।


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