उत्तरकाशी में अधजले शव खाकर खूंखार बन रहे कुत्ते
उत्तरकाशी में शवदाह के समय कुछ लोग शवों को घाटों पर अधजला ही छोड़ देते हैं, जिन्हें आवारा कुत्ते नोंच रहे हैं। अब यही कुत्ते खूंखार हो गए हैं।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: बीते कुछ सालों में लोगों की घोर लापरवाही उत्तरकाशी शहर पर भारी गुजर रही है। दरअसल, शवदाह के समय कुछ लोग शवों को घाटों पर अधजला ही छोड़ देते हैं, जिन्हें आवारा कुत्ते नोंच रहे हैं। अब यही कुत्ते इस कदर खूंखार हो गए हैं कि किसी भी अनहोनी को अंजाम दे सकते हैं। शहर के केदारघाट पर तो आए दिन इस तरह के दृश्य आम हो गए हैं। इससे सामाजिक संगठन ही नहीं पुलिस भी काफी चिंतित है।
उत्तरकाशी के मोक्ष घाट (केदार घाट) पर लोग शवों का दाह सही ढंग से नहीं कर रहे। कई लोग तो शव अधजला ही छोड़ दे रहे हैं, जिन्हें कुत्ते अपना निवाला बना रहे हैं। यह स्थिति बीते सालों में अधिक चिंताजनक हुई है। कई बार तो आवारा कुत्ते इन अधजले शवों को नोंचते हुए बाजार तक भी पहुंच जा रहे हैं। बीते एक सप्ताह के दौरान ही इस तरह की तीन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जब केदारघाट में कुत्ते अधजले शवों को नोंचते दिखे।
कई बार आसपास के लोगों ने इन कुत्तों को भगाने का भी प्रयास किया। लेकिन, वो अधजले शव को लेकर बाजार की ओर भाग निकले। गंगा विचार मंच के प्रदेश संयोजक लोकेंद्र ङ्क्षसह बिष्ट बताते हैं कि काशीनगरी में इस तरह की घटनाएं काफी विचलित कर देने वाली हैं। इसमें सबसे बड़ी गलती उन लोगों की है, जो शवों का दहन सही ढंग से नहीं करते।
साथ ही नगर पालिका भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं, जो आवारा कुत्तों की रोकथाम को कोई कदम नहीं उठा रही। यही स्थिति रही तो ये कुत्ते लोगों पर हमला करना शुरू कर देंगे। बताया कि उत्तरकाशी में नमामि गंगे के तहत लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर इस तरह की घटनाओं को रोकने के प्रयास तक नहीं हुए। कोतवाली प्रभारी उत्तरकाशी महादेव उनियाल बताते हैं कि उत्तरकाशी में अधजले और नदी में बहाए गए शवों को कुत्ते नोच रहे हैं। इस पर तभी रोक लगेगी, जब लोग जागरूक होकर परंपराओं का निर्वाह सही ढंग से करेंगे।
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