Move to Jagran APP

उत्तराखंड में अनिवार्य तबादलों से चिकित्सकों को मिली छूट, शासनादेश जारी

शासन ने चिकित्सकों की सेवाओं की विशिष्ट प्रकृति और चिकित्सा सेवाओं की व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए मौजूदा स्थानांतरण सत्र में उन्हें अनिवार्य तबादलों से छूट दे दी है।

By Edited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 09:15 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 07:51 AM (IST)
उत्तराखंड में अनिवार्य तबादलों से चिकित्सकों को मिली छूट, शासनादेश जारी
उत्तराखंड में अनिवार्य तबादलों से चिकित्सकों को मिली छूट, शासनादेश जारी

देहरादून, राज्य ब्यूरो। शासन ने चिकित्सकों की सेवाओं की विशिष्ट प्रकृति और चिकित्सा सेवाओं की व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए मौजूदा स्थानांतरण सत्र में उन्हें अनिवार्य तबादलों से छूट दे दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुमोदन के बाद कार्मिक विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 

loksabha election banner

प्रदेश में सरकारी सेवकों के स्थानातरण के लिए अनिवार्य तबादला नीति-2017 बनाई गई है। इस नीति के तहत सभी विभागों को तय समय में तबादले करने होते हैं। इस बार लोकसभा चुनावों के चलते इसकी समय सीमा 31 अगस्त तक रखी गई थी। 

इस नीति में एक प्रावधान यह भी है कि यदि किसी विभाग को विशिष्ट परिस्थितियों में इस नीति के किसी प्रावधान में परिवर्तन अथवा छूट चाहिए तो यह मामला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। इस समिति की संस्तुति और मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद इसमें उचित निर्णय लिया जाएगा। 

इसी प्रावधान के तहत स्वास्थ्य महकमे ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के सामने अपना पक्ष रखा। स्वास्थ्य महकमे ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि चिकित्सकों की सेवा विशिष्ट प्रकृति की है। इसमें अन्य विभागों की तरह हर वर्ष तबादले नहीं किए जा सकते। ऐसा करने से स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। 

इसके अलावा विभाग में कुछ पद ऐसे हैं जो विशिष्ट प्रकृति के हैं। साइक्याट्री, टीबी, सेनीटोरियम, रेडियोलॉजी, ऑकालाजी की सुविधा चुनिंदा स्थानों पर ही है। यहां कार्यरत चिकित्सकों के स्थानांतरण से व्यावहारिक कठिनाई आ सकती है। इस कारण चिकित्सकों को अनिवार्य तबादलों से छूट दी जाए। 

समिति ने भी विभाग के तर्क को उचित पाते हुए यह अपनी संस्तुति मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी। मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन मिलने के बाद अब कार्मिक विभाग ने चिकित्सकों को तबादले में छूट देने संबंधी आदेश जारी कर दिया है। अपर सचिव कार्मिक एसएस वाल्दिया द्वारा यह आदेश जारी किया गया है।

तबादले से क्षुब्ध डीईओ ने मांगा वीआरएस

शिक्षा महकमे में अधिकारियों के बीच रह-रहकर तनातनी सामने आ रही है। ऐसे ही एक मामले से क्षुब्ध होकर एक अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर दिया। उधर, शिक्षा महकमे में अधिकारियों में फेरबदल किया जाएगा। इस संबंध में पत्रावली को उच्चानुमोदन को भेजा गया है। 

शासन ने बीते दिनों हरिद्वार जिले में मुख्य शिक्षा अधिकारी के पद पर डॉ आनंद भारद्वाज की तैनाती की थी। हरिद्वार जिले में इसी पद पर कार्यरत रहे डॉ गोविंद राम जायसवाल के राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के ओएसडी के तौर पर नियुक्त होने के बाद उक्त पद रिक्त हो गया था। 

मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार के रूप में डॉ भारद्वाज के पदभार ग्रहण करने के साथ वहां जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक पद पर कार्यरत रहे ब्रह्मपाल सिंह सैनी को दून में शिक्षा निदेशालय से संबद्ध किया गया है। सैनी की सेवानिवृत्ति में सिर्फ 11 महीने बचे हैं। 

सेवानिवृत्ति से ऐन पहले हुई इस कार्यवाही से क्षुब्ध सैनी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए महकमे में आवेदन किया है। सैनी और भारद्वाज के बीच काफी पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा बताया जाता है। उन्होंने पहले शासन में आवेदन दिया था, लेकिन बाद में वरिष्ठ अधिकारियों से मशविरे के बाद उन्होंने निदेशालय में अपना आवेदन पत्र सौंपा है। 

यह भी पढ़ें: पर्वतीय क्षेत्रों में डिग्री शिक्षकों की भर्ती को आयोग में भेजेंगे प्रस्ताव

उधर, शिक्षाधिकारियों में एक और फेरबदल तय माना जा रहा है। ऊधमसिंह नगर जिले में नए मुख्य शिक्षाधिकारी की तैनाती हो सकती है। इसके साथ ही कुछ अन्य पदों पर भी फेरबदल के लिए सचिवालय में फाइल मूवमेंट शुरू हो चुका है।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में कॉलेजों में न्यूनतम 180 दिन पढ़ाई अनिवार्य, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.