सावधान! अवैध रूप से बिकने वाले छोटे सिलेंडर का न करें इस्तेमाल, 'बम' से कम नहीं
रसोई के लिए बाजार में अवैध रूप से बिकने वाले पांच किलो के छोटे सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये। ये सिलेंडर किसी बम से कम नहीं हैं।
देहरादून, जेएनएन। अगर आप भी रसोई के लिए बाजार में अवैध रूप से बिकने वाले पांच किलो के छोटे सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये। ये सिलेंडर किसी 'बम' से कम नहीं हैं। नियम-कायदों को ताक पर रखकर बनाए जा रहे ये सिलेंडर कभी भी हादसे की वजह बन सकते हैं। इसलिए अच्छा होगा कि प्रमाणित कंपनियों के सिलेंडर का इस्तेमाल करें। इससे आप और आपके स्वजन सुरक्षित तो होंगे ही, जेब भी कम ढीली होगी। क्योंकि, अवैध सिलेंडर के मुकाबले कंपनी के सिलेंडर कम मूल्य पर बाजार में उपलब्ध हैं।
शहर में अवैध रूप से बिक रहे पांच किलो के सिलेंडरों का बाजार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। जिसके सबसे ज्यादा उपभोक्ता ठेली-रेहड़ी लगाने वाले, छात्र और श्रमिक परिवार हैं। इससे घरेलू गैस की कालाबाजारी के साथ हादसे का खतरा भी बढ़ रहा है। दरअसल, ज्यादा मुनाफे के लिए इन सिलेंडरों में मानक से पतली धातु का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इनके लीक होने और दबाव बढ़ने पर फटने का खतरा बना रहता है। इन सिलेंडरों की खपत बढ़ने से घरेलू गैस की अवैध रीफिलिंग का धंधा भी फूल-फल रहा है।
कई बार रीफिलिंग के दौरान इन सिलेंडरों से हादसे भी हो चुके हैं। गंभीर बात यह है कि इस गोरखधंधे पर रोक लगाने के लिए गैस कंपनियां, प्रशासन और पूर्ति विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। हां, रस्म अदायगी के लिए बीच-बीच में अभियान जरूर चलाए जाते है, लेकिन इक्का-दुक्का छापेमारी के बाद अधिकारी फिर खामोश हो जाते हैं।
इसलिए खतरनाक हैं बाजार में बिक रहे अवैध छोटे सिलेंडर
-ये सिलेंडर आइएसआइ मार्का नहीं होते।
-इनके निर्माण में निम्न गुणवत्ता की धातु का उपयोग किया जाता है।
-इन्हें बनाते हुए लीकेज की जांच नहीं की जाती।
-निम्न गुणवत्ता के नोजल होने से गैस लीकेज का खतरा बना रहता है।
कंपनी का सिलेंडर सुरक्षित
देश की तीनों प्रमुख तेल कंपनियों आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसी के घरेलू व व्यावसायिक छोटे सिलेंडर भी बाजार में उपलब्ध हैं। आइओसी के उप महाप्रबंधक प्रभात वर्मा ने बताया कि छोटे सिलेंडर गैस एजेंसियों, पेट्रोल पंप या कंपनियों के अधिकृत स्टोर से खरीदे जा सकते हैं। बाजार में अवैध सिलेंडर की रीफिलिंग के लिए एक किलो पर 150 से 200 रुपये वसूले जाते है, जबकि कंपनी की ओर से छोटे घरेलू सिलेंडर की रीफिलिंग 100 रुपये और व्यावसायिक की रीफिलिंग 75 रुपये प्रति किलो की दर से की जा रही है।
अवैध छोटे सिलेंडर की डिमांड क्यों ?
अधिकांश लोगों को भ्रम है कि गैस एजेंसी से सिलेंडर खरीदने के लिए कई सारे कागजात जमा करने के साथ भागदौड़ करनी होगी। इसी माथापच्ची से बचने के लिए लोग सुरक्षा को ताक पर रखकर बाजार में बिक रहे अवैध सिलेंडर खरीद लेते हैं।
काफी आसान है गैस एजेंसी से छोटा सिलेंडर लेना
आइओसी के उप महाप्रबंधक प्रभात वर्मा ने बताया कि किसी भी गैस एजेंसी में एड्रेस प्रूफ, आधार कार्ड, फोटो और राशन कार्ड दिखाकर नया कनेक्शन लिया जा सकता है। किसी दूसरे जिले से ट्रांसफर की स्थिति में पुरानी एजेंसी से लिया हुआ निरस्तीकरण का वाउचर दिखाना होगा। व्यावसायिक कनेक्शन मात्र एक कागज दिखाकर लिया जा सकता है।
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जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी ने बताया कि पूर्ति विभाग अपने स्तर से अवैध रीफिलिंग की दुकानों और होटलों में छापेमारी करता आया है। गैस कंपनियां अगर इस पर काबू पाने के लिए अभियान चलाना चाहती हैं तो पूर्ति विभाग पूरा सहयोग देगा। वहीं, एलपीजी एसोसिएशन के अध्यक्ष चमन लाल का कहना है कि छोटे सिलेंडर गैस एजेंसी समेत अन्य आउटलेट पर उपलब्ध हैं। मात्र 800 रुपये सुरक्षा शुल्क और इस पर जीएसटी देकर कंपनी का सिलेंडर खरीदा जा सकता है। इसके अलावा गैस के लिए अलग से पैसा चुकाना होगा।
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