शरणार्थियों को आवंटित 23 करोड़ की भूमि हड़पी, जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी सदर को सौंपी जांच
पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों (रिफ्यूजी) के लिए जिला सहायता एवं पुनर्वास कार्यालय (डीआरआरओ) ने आरकेडिया ग्रांट में बड़े पैमाने पर भूमि आवंटित की थी। आवंटन के बाद भी राजस्व विभाग के नाम पर जमीन शेष है 11 हजार 700 वर्ग गज भूमि हड़प ली गई।
सुमन सेमवाल, देहरादून: पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों (रिफ्यूजी) के लिए जिला सहायता एवं पुनर्वास कार्यालय (डीआरआरओ) ने आरकेडिया ग्रांट में बड़े पैमाने पर भूमि आवंटित की थी। आवंटन के बाद भी राजस्व विभाग के नाम पर जमीन शेष है, मगर इसकी सुध न लिए जाने से 11 हजार 700 वर्ग गज भूमि हड़प ली गई। तकरीबन 23 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली इस भूमि की अब तक कई दफा खरीद-बिक्री की जा चुकी है। इतना ही नहीं, दाखिल खारिज भी संबंधित व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिए गए। इस प्रकरण का संज्ञान जिलाधिकारी (डीएम) डा. आर राजेश कुमार ने लिया है और उप जिलाधिकारी (एसडीएम) सदर को जांच सौंपते हुए तहसीलदार सदर से मौका मुआयना कर कार्रवाई के लिए कहा है।
ऐसा नहीं है कि यह मामला पहली दफा प्रशासन के संज्ञान में आया हो। वर्ष 2010 में भी प्रकरण प्रशासन की जानकारी में आया था। तब तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर मनोज कुमार ने जांच में पाया था कि तत्कालीन पेशी मुहर्रिर संजय सिंह ने राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर डीआरआरओ की भूमि (खसरा नंबर 191 व 192) कुछ स्थानीय व्यक्तियों के नाम चढ़ा दी है। उन्होंने पेशी मुहर्रिर के खिलाफ विभागीय जांच और निलंबन की संस्तुति की थी। इसके बाद भी जमीन बिकती रही। इतना जरूर किया गया कि वर्ष 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी डा. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने पेशी मुहर्रिर को निलंबित कर दिया। जमीन पर किए गए अवैध कब्जे और नामांतरण का मामला बना रहा।
वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने गलत नामांतरण को निरस्त कर दिया और कार्रवाई के लिए प्रकरण अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) को सौंपा गया। राजस्व अभिलेखों में जरूरी खानापूर्ति की गई, मगर मौके पर हालात जस के तस बने रहे। अब वर्तमान जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने प्रकरण का संज्ञान लिया है। देखने वाली बात यह होगी कि इस दफा भी बात कागजी कार्रवाई तक सीमित रहती है या कुछ ठोस किया जाता है।
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...तो क्या कर रही लैंड फ्राड कोआर्डिनेशन कमेटी
देहरादून में सरकारी भूमि पर कब्जों से संबंधित इस तरह के तमाम प्रकरण सामने आते हैं। ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में लैैंड फ्राड कोआर्डिनेशन कमेटी भी बनाई गई है। प्रभावी कार्रवाई के लिए कमेटी में पुलिस महानिरीक्षक को भी शामिल किया गया है। इसके बाद भी कमेटी की प्रगति मासिक बैठकों तक ही सीमित नजर आती है। कभी भी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों के बड़े मामलों में ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।
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