गांव लौटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी से दिया जाएगा पोषाहार
गांव लौटे प्रवासियों में शामिल छह वर्ष तक के बच्चों गर्भवती व धात्री महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों से अनुपूरक पोषाहार समेत सभी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
By Edited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 08:13 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 08:06 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। गांव लौटे प्रवासियों में शामिल छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों से अनुपूरक पोषाहार समेत सभी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। महिला कल्याण और बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने विभागीय सचिव को इस संबंध में निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी प्रवासी के पास बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र या जच्चा-बच्चा कार्ड तत्काल उपलब्ध न हों तो उन्हें नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों से सेवाएं मुहैया कराई जाएं।
कोरोना संकट के मद्देनजर देश के विभिन्न राज्यों से अब तक दो लाख से ज्यादा प्रवासी वापस गांव लौट चुके हैं। यह सिलसिला निरंतर चल रहा है। इनमें काफी संख्या में छह साल तक के बच्चे, गर्भवती और धात्री महिलाएं भी शामिल हैं। सरकार ने अब इनकी चिंता भी की है। दरअसल, राज्य में छह साल तक बच्चों, धात्री और गर्भवती महिलाओं को 20 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों से अनुपूरक पोषाहार, स्वास्थ्य, पोषण शिक्षा, स्वास्थ्य जांच समेत अन्य सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। इसके लिए उनका आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकरण आवश्यक है।
प्रवासियों के मामले में सरकार नियमों को शिथिल करने जा रही है। महिला कल्याण और बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने विभागीय सचिव को पत्र भेजकर कहा है कि गांव लौटे प्रवासियों में शामिल बच्चों, धात्री व गर्भवती महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल को जरूरी है कि इन्हें नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों से सभी सेवाएं मुहैया कराई जाएं।
यह भी संभव है कि घर लौटे कई प्रवासियों के पास बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र, महिलाओं के जच्चा-बच्चा कार्ड तत्काल उपलब्ध नहीं होंगे। ऐसी विषम परिस्थिति में नियमों में शिथिलता प्रदान की जानी जनहित में न्यायोचित होगी। उन्होंने सचिव को निर्देश दिए हैं कि गांव लौटी गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों से सभी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।
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