उत्तराखंड: दो दिन बाद ही मानसेरा की मीडिया सलाहकार पद पर नियुक्ति रद, जानिए वजह
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पद पर दो दिन पहले की गई दिनेश मानसेरा की नियुक्ति सरकार ने निरस्त कर दी। इंटरनेट मीडिया पर मानसेरा के भाजपा के खिलाफ किए गए पुराने ट्वीट वायरल होने पर भाजपा आलाकमान ने इसे गंभीरता से लिया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पद पर दो दिन पहले की गई दिनेश मानसेरा की नियुक्ति सरकार ने निरस्त कर दी। इंटरनेट मीडिया पर मानसेरा के भाजपा के खिलाफ किए गए पुराने ट्वीट वायरल होने पर भाजपा आलाकमान ने इसे गंभीरता से लिया। इससे सरकार को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
सरकार ने मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार के पद पर बीती 17 मई को दिनेश मानसेरा की नियुक्ति की थी। मानसेरा के पदभार संभालने से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर उनके पुराने ट्वीट चर्चित हो गए। इन ट्वीट में भाजपा को लेकर उनके पुराने रुख को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ गईं। बताया जा रहा है कि उनके मीडिया के एक वर्ग विशेष से जुड़े रहने की शिकायतें भी पार्टी आलाकमान तक पहुंचीं। इंटरनेट मीडिया में उन्हें प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का नजदीकी भी बताया गया। चर्चा यह भी रही कि उनकी नियुक्ति में पार्टी के बड़े नेता की भूमिका रही। हालांकि, इस पद के कई दावेदार पार्टी में थे लेकिन सरकार ने मानसेरा के नाम को तरजीह दी।
इस तरह की चर्चाओं के बाद मीडिया सलाहकार के पद पर मानसेरा की नियुक्ति पर पार्टी के भीतर ही कई तरह के सवाल उठ खडे हुए। आखिरकार बुधवार को सरकार ने उनकी नियुक्ति रद कर दी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने 17 मई को उनकी नियुक्ति का आदेश निरस्त कर दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इस बारे में कहा कि राजनीतिक निर्णयों में परिवर्तन की गुंजाइश रहती है। मानसेरा के मामले में सरकार ने इसी के अनुरूप निर्णय लिया। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि किसे सलाहकार नियुक्ति करना है, यह मुख्यमंत्री का अधिकार होता है। इस तरह के निर्णयों में बदलाव सामान्य बात है।
उधर, दिनेश मानसेरा ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उन्हें अपना मीडिया सलाहकार बनाया। उनके देहरादून पहुंचने से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर उनकी नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री के फैसले पर सवाल उठे। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने से पहले उन्हें सभी विषयों पर सोचना पड़ा। ऐसे माहौल में काम करने का कोई औचित्य नहीं है। सबकी गरिमा बनी रहे, इसलिए वह पद को अस्वीकार कर रहे हैं।
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