फोटोग्राफी को बनाया जुनून और कैमरे को बना लिया अपना हमसफर
देहरादून निवासी 38 वर्षीय दीना रमोला ने फोटोग्राफी को अपना जुनून और कैमरे को अपना हमसफर बना लिया। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद बीते 18 वर्षों से दीना और कैमरे का साथ बरकरार है।
देहरादून, [जेएनएन]: फोटोग्राफी उनका शौक नहीं, जुनून है, शायद यही वजह है कि 38 वर्षीय दीना रमोला ने कैमरे को अपना हमसफर बना लिया। दो भाई और दो बहनों में दूसरे नंबर की दीना ने शादी नहीं की है। शादी हो या बर्थडे पार्टी, दीना हर समारोह में अपने कैमरे के साथ लम्हे कैद करते नजर आ जाती हैं। पहली बार किसी महिला फोटोग्राफर को शादियों में पेशेवर फोटोग्राफी करते देख कुछ देर के लिए लोग चौंकते जरूर हैं, लेकिन दीना को अब ये बातें परेशान नहीं करतीं। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद बीते 18 वर्षों से दीना और कैमरे का साथ बरकरार है।
जब भी कोई महिला पारंपरिक पेशे के उलट फील्ड चुनती है तो वह सफर आसान नहीं होता। बंजारावाला निवासी दीना रमोला के लिए भी पुरुष वर्चस्व वाले फोटोग्राफी के फील्ड में भविष्य बनाने का फैसला संघर्षों से भरा रहा। फोटोग्राफी का शौक दीना को 15 साल की उम्र में चढ़ा और 20 साल की उम्र में उन्होंने शादी-ब्याह में फोटोग्राफी करनी शुरू कर दी। एक राहत की बात यह रही कि परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा। दीना बताती हैं कि 2012 में उनका परिवार दून आ गया था। उनका बचपन उत्तरकाशी में नाना के यहां बीता। उनके मामा सुरक्षा रावत का वहां फोटो स्टूडियो था। उसी फोटो स्टूडियो में उन्होंने पहली बार कैमरा देखा। स्कूल से समय मिलने के बाद वह मामा से कैमरा चलाना सीखने लगीं। यह शौक धीरे-धीरे बढ़ता गया और उन्होंने दूसरों के कैमरे से शादी-ब्याह के मौकों पर तस्वीरें उतारनी शुरू कर दी। उनकी लगन और प्रतिभा को देखते हुए चचेरे भाइयों ने उन्हें एक कैमरा गिफ्ट कर दिया। वह बताती हैं कि कैमरा पाकर उन्हें बहुत खुशी हुई, तब से शुरू हुआ उनका सफर जो अब तक जारी है। 13 साल उत्तरकाशी में काम करने के बाद उन्होंने दून में अपने घर पर ही खुद का स्टूडियो खोल लिया है।
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए दीना को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जब वो तीन साल की थीं, तभी पिता का साया उनके सिर से उठ गया था। उनकी मां नारायणी देवी का भी कुछ दिन पहले निधन हो गया है। वह बताती हैं कि फोटोग्राफी ही उनकी पहचान है। उन्होंने बताया कि करियर की शुरुआत में आर्थिक चुनौतियां आईं, लेकिन अब हर कोई उनके काम की सराहना करता है।
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