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देहरादून जिला एक, फिर भी लाइसेंस के लिए अलग-अलग प्रक्रिया, पढ़ि‍ए पूरी खबर

जिले में परिवहन विभाग के तीन कार्यालय हैं मगर तीनों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया अलग-अलग हैं। कईं दफा कठिन परीक्षा प्रक्रिया से बचने के लिए दून शहर के आवेदक विकासनगर या ऋषिकेश से लाइसेंस बनवा लेते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 09:45 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 09:45 PM (IST)
देहरादून जिला एक, फिर भी लाइसेंस के लिए अलग-अलग प्रक्रिया, पढ़ि‍ए पूरी खबर
जिले में परिवहन विभाग के तीन कार्यालय हैं, मगर तीनों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया अलग-अलग हैं।

देहरादून, जेएनएन। जिले में परिवहन विभाग के तीन कार्यालय हैं, मगर तीनों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया अलग-अलग हैं। दून शहर में प्रकिया जहां कठिन है, वहीं विकासनगर व ऋषिकेश में आसानी से लाइसेंस बन जाते हैं। कईं दफा कठिन परीक्षा प्रक्रिया से बचने के लिए दून शहर के आवेदक विकासनगर या ऋषिकेश से लाइसेंस बनवा लेते हैं। परिवहन विभाग अपनी इस खामी पर आंखें मूंदे बैठा है। 

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देहरादून शहर, विकासनगर व ऋषिकेश में लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया समान है लेकिन परमानेंट लाइसेंस की एकदम अलग है। इन तीनों कार्यालयों में लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिए कंप्यूटर पर परीक्षा देनी होती है। इसमें यातायात नियमों, साइन बोर्ड और वाहन के संचालन से संबंधित 15 प्रश्न पूछे जाते हैं। उनके विकल्प सामने होते हैं और आवेदक को दस मिनट में परीक्षा पूरी करनी होती है। इसमें 60 फीसद अंक हासिल करने पर ही आवेदक पास हो पाता है। अगर वह परीक्षा में पास नहीं हुआ तो एक हफ्ते बाद दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलता है। यदि दूसरी बार भी पास नहीं हुआ तो फिर एक महीने बाद ही परीक्षा दी जा सकती है। विभाग के नियमों के तहत लर्निंग लाइसेंस छह महीने तक वैध होता है, लेकिन आवेदक 30 दिन पूरे के बाद परमानेंट लाइसेंस बनाने के लिए आवेदन कर सकता है। 

इसके बाद देहरादून शहर और शेष दोनों कार्यालयों की प्रक्रिया में अंतर है। देहरादून शहर में परमानेंट लाइसेंस बनाने को झाझरा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रेनिंग रिसर्च में ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देना पड़ता है। यह टेस्ट इतना कठिन है कि इसे सिर्फ वही आवेदक पास कर पाता है, जो वाहन चलाने में पूरी तरह निपुण हो। इसमें बेहद मामूली गलती पर भी आवेदक फेल करार दिए जाते हैं। यह पूरी तरह ऑनलाइन टेस्ट है, जिसमें नंबर सेंसर और सीसी कैमरों के जरिए मिलते हैं। इसके विपरीत विकासनगर और ऋषिकेश कार्यालय में परमानेंट डीएल पुरानी व्यवस्था पर कार्यालय में वाहन को आगे-पीछे कराकर देखने के बाद दिए जाते हैं। यानी, यहां अगर आपकी जान पहचान है तो आवेदक को यह परीक्षा भी नहीं देनी पड़ती। 

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आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने कहा कि दून शहर में पायलेट प्रोजेक्ट के अंतर्गत टेस्टिंग लेन पर ड्राइविंग टेस्ट की शुरुआत की गई थी। इसके बाद प्रदेश में परिवहन विभाग के सभी कार्यालयों में इसी तर्ज पर टेस्ट कराने की प्रक्रिया शुरू होनी है। 

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