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देश में मनाया जाएगा गंगा दिवस, चल रहा मंथन; पढ़िए पूरी खबर

गगा से जुड़ाव को और मजबूत करने के मद्देनजर गंगा दिवस मनाने के सुझाव पर गहन मंथन चल रहा है।

By Edited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 08:25 PM (IST)
देश में मनाया जाएगा गंगा दिवस, चल रहा मंथन; पढ़िए पूरी खबर
देश में मनाया जाएगा गंगा दिवस, चल रहा मंथन; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए जरूरी है कि आस्था के साथ ही हर पहलू से गंगा को समझकर लोग उससे जुड़ें और दिल में उतारें। नमामि गंगे परियोजना के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने देहरादून के शुक्लापुर में शोध संस्था हिमालयन इन्वायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (हेस्को) के मुख्यालय के भ्रमण के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस जुड़ाव को और मजबूत करने के मद्देनजर ही 'गंगा दिवस' मनाने के सुझाव पर गहन मंथन चल रहा है। उनका कहना है कि  देशभर में गंगा किनारे लगभग 4500 गांव हैं, जिन्हें गंगा ग्राम के तौर पर विकसित किया जाना है। इन गांवों की तरक्की के लिए स्वच्छता, आजीविका, गंगा वन समेत अन्य विषयों पर वहां हेस्को की तकनीकी का उपयोग किया जाएगा। कुछ गांवों में यह पहले से ही चल रही हैं। 

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हेस्को मुख्यालय में संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने नमामि गंगे के महानिदेशक मिश्रा को हेस्को की लोक विज्ञान पर केंद्रित आजीविका, घराट, जल संरक्षण समेत अन्य विषयों पर तकनीकी के बारे में विस्तार से अवगत कराया। इनके मॉडल भी उन्हें दिखाए गए। नमामि गंगे के महानिदेशक मिश्रा ने सभी तकनीकी की सराहना की। बाद में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि गंगा से हमारी आस्था जुड़ी है। 

गंगा हमें जीवन दे रही है, मगर हम भी उसे कुछ देना सीखें। इसके लिए सभी हितधारकों को मिलकर कदम बढ़ाने होंगे। मिश्रा ने कहा कि नमामि गंगे से दून का भी जुड़ाव है। सर्वे आफ इंडिया के यहां स्थित मुख्यालय के जरिये गोमुख से लेकर गंगासागर तक गंगा का वैज्ञानिक मैप बनवाया जा रहा है तो वन अनुसंधान संस्थान से गंगा वन की अवधारणा को धरातल पर उतारने को डीपीआर बनवाई जा चुकी है। 

यही नहीं, भारतीय वन्यजीव संस्थान गंगा प्रहरी प्रोजेक्ट में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता के लिए जरूरी है कि उसमें पानी की कमी न होने पाए। इसके लिए गंगा की सहायक नदियों व जलस्रोतों का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आस्था के साथ ही वैज्ञानिक ढंग से भी गंगा को समझने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि हेस्को के साथ मिलकर नमामि गंगे के तहत हम कई कार्य करने वाले हैं। हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. जोशी ने कहा कि गंगा को मजबूती से जिंदा रखना है तो उसे उचित सम्मान देना ही होगा। जो गंगा भोगी जा रही है, उससे हम जोड़ नहीं पा रहे। लिहाजा, गंगा से जुड़ना होगा। गंगा तटों पर बसे लोगों की प्राथमिकताएं क्या हैं, उससे भी जुड़ना आवश्यक है।

उन्होंने हिमालय दिवस की तरह गंगा दिवस मनाने, गंगा नॉलेज पार्क बनाने, आजीविका, गंगा वन, गंगा म्यूजियम व गंगा यात्रा से संबंधित सुझाव भी दिए। इससे पहले, नमामि गंगे के महानिदेशक व उनकी टीम के हेस्को मुख्यालय पहुंचने पर उनका पारंपरिक ढंग से गाजे-बाजों के साथ स्वागत किया गया। चकराता क्षेत्र के सलगा समेत अन्य गांवों से पारंपरिक वेशभूषा में आई महिलाओं ने स्वागत गीत-नृत्य की प्रस्तुत दी, जिस पर नमामि गंगे के महानिदेशक भी कुछ देर थिरके।

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