डेनमार्क भी उत्तराखंड के मंडुवा और झंगोरे का मुरीद, हिमालयन मिलेट के नाम से मंडुवा, झंगोरा की पहली खेप भेजी
उत्तराखंड में पैदा होने वाले मोटे अनाजों को भले ही पूर्व में खास तवज्जो न मिली हो मगर अब स्थिति बदली है। पौष्टिकता से लबरेज और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार मंडुवा (फिंगर मिलेट) व झंगोरा (बार्न यार्ड मिलेट) जैसे अनाज की दुनिया भी दीवानी हुई है।
विजय जोशी, देहरादून। उत्तराखंड में पैदा होने वाले मोटे अनाजों को भले ही पूर्व में खास तवज्जो न मिली हो, मगर अब स्थिति बदली है। पौष्टिकता से लबरेज और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार मंडुवा (फिंगर मिलेट) व झंगोरा (बार्न यार्ड मिलेट) जैसे अनाज की दुनिया भी दीवानी हुई है। इस कड़ी में डेनमार्क से उत्तराखंड को जैविक मंडुवा व झंगोरा का सौ टन की सप्लाई का आर्डर मिला है। 'हिमालयन मिलेट' के नाम से मंडुवा, झंगोरा की पांच टन की पहली खेप भेजी जा चुकी है। यह संभव हो पाया कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड (यूएपीएमबी) की पहल से। इससे यूएपीएमबी से जुड़े ढाई हजार से ज्यादा किसानों को लाभ मिलने जा रहा है।
देश में मिलेट को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों का नाम ही चर्चा में रहता था। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि इन राज्यों में मिलेट की अच्छी खासी पैदावार होने के साथ ही वहां इनसे कई उत्पाद भी तैयार किए गए हैं। अब इस कड़ी में मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखंड का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल, उत्तराखंड में ठीक-ठाक पैमाने पर मंडुवा उत्पादित होता है, मगर इसे बढ़ावा देने को गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। हालांकि, राज्य गठन के बाद मंडुवा, झंगोरा को आर्थिकी का अहम जरिया बनाने की ठानी गई। तब जापान को करीब 200 कुंतल मंडुवा सप्लाई भी किया गया, मगर बाद में यह मुहिम आगे नहीं बढ़ पाई।
अब एपीडा ने इस तरफ नजरें इनायत की हैं। मंडुवा, झंगोरा जैसे मोटे अनाजों की दुनियाभर में मांग को देखते हुए एपीडा ने 'हिमालयन मिलेट' के नाम टास्क फोर्स बनाई है। साथ ही यूएपीएमबी को मिलेट के निर्यात के मद्देनजर माहभर के भीतर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस बीच एपीडा के सहयोग से उत्तराखंड को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन से मंडुवा व झंगोरा का आर्डर भी मिला है। इन उत्पादों की रुद्रपुर में प्रोसेसिंग करने वाली इकाई जस्ट उत्तराखंड : त्रेता आर्गनिक एग्रो लि.के प्रबंध निदेशक पंकज अग्रवाल के अनुसार डेनमार्क यहां से मिलने वाले मंडुवा व झंगोरे का उपयोग बेकरी उत्पाद बनाने में करेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही डेनमार्क को इन अनाज की पूरी खेप भेज दी जाएगी। अग्रवाल के मुताबिक यह पहल राज्य की कृषि के लिए गेम चेंजर साबित होने वाली है।
पौष्टिकता से हैं लबरेज
उत्तराखंड में उत्पादित जैविक मंडुवा, झंगोरा, रामदाना जैसे मोटे अनाज पौष्टिकता से लबरेज हैं। इनमें मौजूद पौष्टिक तत्वों और औषधीय गुणों ने देश ही नहीं विदेश को भी आकर्षित किया है। चिकित्सकों के अनुसार मंडुवे में भरपूर मात्रा में आयरन, फाइबर, प्रोटीन, मिनरल्स समेत कई पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। झंगोरे में कैल्शियम, आयरन, मिनरल, प्रोटीन और प्रचुर मात्रा में विटामिन बी कांप्लेक्स पाया जाता है।
-पारितोष वर्मा (महाप्रबंधक प्रशासन, उत्तराखंड कृषि उत्पाद विपणन बोर्ड) ने बताया कि उत्तराखंड कृषि उत्पाद विपणन बोर्ड उन किसानों से मंडुवा, झंगोरा, रामदाना खरीदता है, जो सर्टिफाइड बीज से इनकी जैविक खेती कर रहे हैं। इन उत्पादों का रुद्रपुर स्थित मल्टीग्रेन प्रोसेसिंग यूनिट में इनमें वेल्यू एडीशन किया जाता है। यहीं से पहाड़ी अनाज देश-दुनिया में भेजे जा रहे हैं। एपीडा के सहयोग से डेनमार्क से आर्डर मिला है।
-डॉ. केपी जोशी (वरिष्ठ फिजिशियन, देहरादून) ने बताया कि पहाड़ में उत्पादित मंडुवा, झंगोरा जैसे मोटे अनाज पौष्टिक और जरूरी तत्वों के समावेश के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हैं। आयरन, कैल्शियम, मिनरल्स, प्रोटीन हमारे शरीर को भीतर से मजबूत करते हैं। मैटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ ही यह कब्ज और एसिडिटी की समस्या भी दूर करते हैं। इन्हीं गुणों के कारण इनकी डिमांड बढ़ रही है।
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