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जिला प्रशासन से की परचून की दुकानें रोजाना तीन घंटा खोलने की मांग

दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ ने भी जिला प्रशासन से डेयरी और फल-सब्जी की तरह शहर में परचून की दुकानों को भी हर रोज तीन घंटा खोलने की छूट देने की मांग की है। इससे पहले मंगलवार को प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के सदस्‍यों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 10:24 AM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 10:24 AM (IST)
जिला प्रशासन से की परचून की दुकानें रोजाना तीन घंटा खोलने की मांग
जिला प्रशासन से परचून की दुकानें रोजाना तीन घंटा खोलने की मांग की।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ ने भी जिला प्रशासन से डेयरी और फल-सब्जी की तरह शहर में परचून की दुकानों को भी हर रोज तीन घंटा खोलने की छूट देने की मांग की है। इससे पहले मंगलवार को प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात कर परचून की दुकानों को आवश्यक सेवा में शामिल कर रोजाना तीन से पांच घंटे तक खोलने देने की मांग कर चुका है।

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बुधवार को दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील कुमार बांगा की अगुआई में व्यापारियों की वर्चुअल बैठक हुई। इसमें व्यापारियों ने कहा कि प्रशासन ने इस सप्ताह अब 21 मई को परचून की दुकानें खोलने का आदेश दिया है। सप्ताह में एक या दो दिन दुकान खुलने पर भीड़ जमा होना लाजिमी है। ऐसे में सभी लोग एक ही दिन राशन आदि खरीदने पहुंच जाते है। ऐसे हालात में कोरोना से सुरक्षा के लिए जारी की गई गाइडलाइन का भी पूरी तरह पालन नहीं हो पाता। जो कि कोरोना से जंग जीतने के लिए बेहद जरूरी है।

इसके बाद प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव को पत्र भेजकर मांग की कि परचून की दुकानों को भी फल-सब्जी और डेयरी की तर्ज पर सुबह सात से दस बजे तक खोलने का आदेश दिया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे न केवल व्यापारियों को राहत मिलेगी, बल्कि दुकानों में भीड़ भी जमा नहीं होगी। बैठक में व्यापारी परवीन अरोड़ा, शेखर कपूर, योगेश भटनागर, सोनू फ्रांसिस, चमन लाल, राजेंद्र सिंह नेगी, रवि फुकेला आदि मौजूद रहे।

दुकानों का किराया माफ करने की मांग

जिला कांग्रेस कमेटी पछवादून के प्रवक्ता नरेश गांधी ने सरकार से अपील की है कि कोरोनाकाल में जितनी दुकानें बंद हैं, उनका किराया माफ कराया जाए। इसके अलावा स्कूल की फीस भी माफ की जाए। गांधी ने कहा कि कोरोनाकाल में मध्य और निचले वर्ग की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है। उन्हें बंद स्कूल की भी फीस भरनी पड़ रही है। दुकान बंद होने के बावजूद किराया देना पड़ रहा है। सरकार को ऐसी नीति बनाने की जरूरत है, जिससे जनता को राहत मिले।

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