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कोचिंग संस्थानों की आर्थिक हालत खराब, 50 फीसद उपस्थित के साथ खोलने की मांग

कोरोना महामारी के चलते पिछले डेढ़ साल से जूझ रहे कोचिंग संस्थानों की आर्थिक हालात खराब होती जा रही है। उत्तराखंड कोचिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन ने बुधवार को कोचिंग संस्थानों के समक्ष आ रही विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 08:20 PM (IST)
कोचिंग संस्थानों की आर्थिक हालत खराब, 50 फीसद उपस्थित के साथ खोलने की मांग
कोचिंग संस्थानों की आर्थिक हालत खराब, 50 फीसद उपस्थित के साथ खोलने की मांग।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना महामारी के चलते पिछले डेढ़ साल से जूझ रहे कोचिंग संस्थानों की आर्थिक हालात खराब होती जा रही है। उत्तराखंड कोचिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन ने बुधवार को कोचिंग संस्थानों के समक्ष आ रही विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की। संस्थान संचालकों ने राज्य सरकार से 50 फीसद उपस्थिति के साथ कोचिंग संस्थान खोलने की मांग की है।

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सुभाष रोड स्थित एक कोचिंग संस्थान में बुधवार को एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिकेत भरतरी के नेतृत्व में विभिन्न कोचिंग संस्थानों के मालिकों ने अपनी-अपनी समस्या साझा की। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की वजह से विद्यार्थियों का सबसे ज्यादा पढ़ाई का नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। अब कोरोना संक्रमण के केसों में कमी आई है। तो उन्हें भी सेंटर खोलने की मंजूरी मिलनी चाहिए।

कोचिंग सेंटर खुलते हैं तो वे बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सभी मापदंडों का ख्याल रखेंगे। कोचिंग देने वाले और कोचिंग हासिल करने वाले विद्यार्थी, दोनों संक्रमण से बचे रहें, इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी। कोचिंग संचालकों का कहना था कि उन्होंने बैंकों से ऋण लेकर कोचिंग संस्थान खोले हैं। कोचिंग संस्थानों से कई शिक्षित बेरोजगारों की रोजी-रोटी चल रही है। प्रदेश के ज्यादातर कोचिंग सेंटर किराये पर संचालित किए जा रहे हैं।

पिछले डेढ़ साल में कोचिंग सेंटरों के संचालकों के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सेंटरों का किराया, बैंक ऋण की किस्त, स्टाफ का वेतन और अन्य खर्चों के भुगतान करने की चिंता सताने लगी है। बैठक में सौरभ कुमार, रोहित तानुली, अनिल खत्री, अखिलेश टांगरी, राघव दुआ आदि मौजूद रहे।

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