Move to Jagran APP

बच्चा अदला-बदली का मामला, डीएनए रिपोर्ट से हुआ फैसला

दून महिला अस्पताल में बच्चा बदले जाने के कथित मामले में अस्पताल प्रशासन ने राहत की सांस ली है। डीएनए जांच की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले का पटाक्षेप हो गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 05:00 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 05:00 PM (IST)
बच्चा अदला-बदली का मामला, डीएनए रिपोर्ट से हुआ फैसला
बच्चा अदला-बदली का मामला, डीएनए रिपोर्ट से हुआ फैसला

देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (दून महिला अस्पताल) में बच्चा बदले जाने के कथित मामले में अस्पताल प्रशासन ने राहत की सांस ली है। डीएनए जांच की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले का पटाक्षेप हो गया है। महिला का बच्चा बदलने का इल्जाम झूठा साबित हुआ है। उसकी बेटी ही हुई थी। 

prime article banner

बता दें, पिछले माह अस्पताल में एक ही नाम की दो महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया था। दोनों के प्रसव के बीच करीब डेढ़ घंटे का अंतर रहा। इनमें एक महिला ने बेटे और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया था। शाम ढलते ही अस्पताल में बेटा-बेटी का मामला उलझ गया। इनमें डोभालवाला निवासी आरती पत्नी उमेश ने आरोप लगाया कि उनका बेटा हुआ था। लेकिन अस्पताल में तैनात स्टाफ ने उन्हें शाम को बताया कि बेटा नहीं बेटी हुई है। बच्ची को दूध पिलाने तक से उसने इन्कार कर दिया था।

मामला प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। वहीं उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया। अगले दिन आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी अस्पताल पहुंच गईं। उनके हस्तक्षेप पर महिला ने बच्ची को दूध पिलाया। इस मामले में शहर कोतवाली में भी तहरीर दी गई थी। शिकायतकर्ता दंपती बच्चों का डीएनए टेस्ट करने की मांग कर रहे थे।

बीती 12 मार्च को बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी व पुलिस की मौजूदगी में डीएनए जांच के लिए दोनों दंपती व बच्चों के सैंपल लिए गए। अब सवा माह बाद डीएनए की जांच रिपोर्ट आई है। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस बावत शुक्रवार को संबंधित दंपती को भी सूचित कर दिया जाएगा। 

विभागीय टीम ने भी तैयार की थी जांच रिपोर्ट 

यह मामला सामने आने बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने स्तर से जांच की थी। इसके लिए गठित दो सदस्यीय चिकित्सकीय टीम ने अस्पताल में तमाम दस्तावेज जांचे। इस विषय में विस्तृत जानकारी ली। यह रिपोर्ट शिकायतकर्ता दंपती को भी दी गई थी। जिसमें बच्चा बदलने के आरोप को निराधार बताया गया था। 

बच्ची की मौत पर अस्पताल में हंगामा 

सेफ्टी पिन निगलने के कारण अस्पताल में भर्ती तीन साल की बच्ची की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से मामला शांत कराया। बाद में परिजन बिना कार्रवाई के लौट गए। अस्पताल प्रशासन ने किसी भी लापरवाही से इन्कार किया है। हरिद्वार निवासी अरविंद की तीन साल की बच्ची ने सेफ्टी पिन निगल ली थी। बुधवार शाम को परिजन उसे बाइपास स्थित कनिष्क अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां उसे भर्ती कर कर लिया गया। आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने सुबह ऑपरेशन की बात कही, लेकिन इससे पहले कि ऑपरेशन किया जाता, बच्ची की मौत हो गई। जिस पर परिजनों में आक्रोश फैल गया।

यह भी पढ़ें: मां से लिपटकर रोने लगी महिला चिकित्सक के घर से बरामद बच्ची

यह भी पढ़ें: नाबालिग के शोषण में महिला चिकित्सक पर दर्ज हुआ मुकदमा

यह भी पढ़ें: बच्चों संग थाने पहुंची महिला, पति और सास-ससुर पर लगाया मारपीट का आरोप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.