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लाखों की लागत से बने पार्किंग में डाला जा रहा मलबा

संवाद सूत्र चकराता पुरातत्व विभाग की टेंडर प्रक्रिया के तहत प्राचीन हनोल महासू देवता मंदिर में पार्किंग स्थल पर मलबा डालने को लेकर अब विवाद उत्पन्न हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:26 PM (IST)
लाखों की लागत से बने पार्किंग में डाला जा रहा मलबा
लाखों की लागत से बने पार्किंग में डाला जा रहा मलबा

संवाद सूत्र, चकराता: पुरातत्व विभाग की टेंडर प्रक्रिया के तहत प्राचीन हनोल महासू देवता मंदिर परिसर में खोदाई कर उसका मलबा मंदिर समिति के पार्किंग स्थल पर डाला जा रहा है। दो साल पहले एडीबी वित्त पोषित योजना के तहत लाखों की लागत से यह पार्किंग स्थल बनाया गया था। मलबा डाले जाने से पर्यटकों को हो रही असुविधा के चलते मंदिर समिति ने कड़ी नाराजगी जताई है। मामले में मंदिर समिति की अध्यक्ष एसडीएम चकराता डॉ. अपूर्वा सिंह ने तहसीलदार त्यूणी को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एसडीएम ने कहा कि सार्वजनिक परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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कुछ वर्षों पहले हनोल में पर्यटन विकास योजना के तहत पार्किंग स्थल बनाया गया। अब इस पर पुरातत्व विभाग मलबा डंप कर रहा है। जिससे यहां वाहनों की आवाजाही प्रभावित है। बताया जा रहा है कि पुरातत्व विभाग हनोल मंदिर क्षेत्र में करीब अस्सी लाख रुपये से विकास कार्य करेगा। इसी क्रम में परिसर को करीब तीन फीट गहरा किया जा रहा है। योजना के तहत यहां पर फुलवारी-कुंगवाड़ की खोदाई कर उसे समतलीकरण बनाने, देवता की राउलीपांड-रसोईघर को तोड़कर उसका निर्माण व अन्य कार्य भी इसमें प्रस्तावित हैं। फिलहाल पुरातत्व विभाग मंदिर समिति की बिना सहमति और विश्वास में लिए कार्य शुरू कर दिया। जिसे के चलते शुरुआती दौर में ही विवाद उत्पन्न हो गया। स्थानीय ग्रामीणों व मंदिर समिति ने कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पुरातत्व विभाग सदियों पुराने इस मंदिर परिसर की खोदाई कर उसका पौराणिक स्वरूप परिवर्तित कर रहा है। एसडीएम ने बिना मंदिर समिति की अनुमति के सार्वजनिक उपयोग के पार्किंग स्थल पर मलबा जमा करने को लेकर नाराजगी जताई। वहीं मंदिर समिति की अध्यक्ष एसडीएम चकराता डॉ. अपूर्वा सिंह ने भी इसे गंभीरता से लिया है। एसडीएम ने तहसीलदार त्यूणी पूरण सिंह तोमर को मामले की जांच कर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, अधीक्षण पुरातत्व विद् देहरादून मंडल डॉ. आरके पटेल ने कहा कि संबंधित ठेकेदार को पार्किंग स्थल से मलबा हटाने को कहा गया है।

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इंसेट:

दो साल पूर्व हुआ था लोकार्पण

त्यूणी: जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के सबसे बड़े धाम कहे जाने वाले सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में चकराता विधायक प्रीतम सिंह के प्रयासों से वर्ष 2014-15 में एडीबी वित्त पोषित योजना के तहत पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के अंतर्गत पर्यटन विकास कार्यों के निर्माण को 8.75 करोड़ बजट स्वीकृत हुआ था। जिसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की एक एजेंसी को दिया गया। योजना के तहत यहां वर्ष 2015 से 2017 के बीच करीब सवा पांच करोड़ की लागत से इंटर लाकिंग, सुरक्षात्मक रेलिग युक्त मंदिर तक पहुंचने का मार्ग, हनोल-ठडियार संपर्क मार्ग, सीसी नाली निर्माण, सड़क किनारे एलइडी स्ट्रीट लाइटें, लंगर हाल व पार्किंग स्थल व अन्य कार्य हुए। जबकि साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट खत्म नहीं होने से लेप्स हो गया। हनोल में हुए तमाम पर्यटन विकास कार्यों का लोकार्पण मई 2018 में सूबे के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने किया।

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ऊर्जा निगम ने पुरातत्व विभाग को भेजा पत्र

त्यूणी: ऊर्जा निगम के उपखंड अधिकारी चकराता अशोक कुमार ने अधीक्षण पुरातत्व विभाग को प्रेषित पत्र में कहा कि हनोल मंदिर परिसर और उसके चारों ओर बस्ती क्षेत्र के लिए ऊर्जा निगम ने करीब साढ़े तीन दशक पहले विद्युत लाइन बिछाई है। जिससे मंदिर व बस्ती क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति होती है। मंदिर प्रांगण में चल रही खुदाई के चलते लाइन क्षतिग्रस्त होने का खतरा है। एसडीओ ऊर्जा निगम ने पुरातत्व विभाग से खुदाई से प्रभावित होने वाले विद्युत पोलों व लाइन के शिफ्टिग को विभाग से अनुमति लेने को कहा है। जिससे विभाग की सार्वजनिक परसंपत्ति को किसी प्रकार का कोई नुकसान न पहुंचे। साथ ही किसी अनहोनी का खतरा भी न रहे।


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