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राज्य कर्मियों के डीए बढ़ोत्तरी का शासनादेश, रोडवेज चालकों और परिचालकों का बढ़ा भत्ता

सरकारी, स्थानीय निकायों, सहायताप्राप्त शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्राविधिक शिक्षण संस्थानों के कार्मिकों को अब महंगाई भत्ता सात फीसद के बजाए नौ फीसद मिलेगा।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 12:34 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:21 AM (IST)
राज्य कर्मियों के डीए बढ़ोत्तरी का शासनादेश, रोडवेज चालकों और परिचालकों का बढ़ा भत्ता
राज्य कर्मियों के डीए बढ़ोत्तरी का शासनादेश, रोडवेज चालकों और परिचालकों का बढ़ा भत्ता

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सातवां वेतनमान ले रहे सरकारी, स्थानीय निकायों, सहायताप्राप्त शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्राविधिक शिक्षण संस्थानों के कार्मिकों को अब महंगाई भत्ता सात फीसद के बजाए नौ फीसद मिलेगा। महंगाई भत्ते में दो फीसद वृद्धि के संबंध में को वित्त सचिव अमित नेगी ने आदेश जारी किए हैं। 

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गौरतलब है कि बीती 12 सितंबर को कैबिनेट बैठक में सातवां वेतनमान ले रहे कार्मिकों के महंगाई भत्ते में दो फीसद इजाफा करने का निर्णय लिया गया था। कर्मचारियों को तोहफा देते हुए सरकार ने आदेश भी जारी कर दिए। 

उक्त कार्मिकों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता एक जुलाई, 2018 से मिलेगा। एक जुलाई से 30 सितंबर तक भत्ते की बढ़ी हुई धनराशि उनके भविष्य निधि खाते में जमा की जाएगी। एक अक्टूबर से नकद भुगतान किया जाएगा। 

अंशदायी योजना से आच्छादित कार्मिकों को एरियर में से 10 फीसद पेंशन अंशदान और उतनी ही धनराशि नियोक्ता के अंश के साथ नई पेंशन योजना से संबंधित खाते में जमा की जाएगी। शेष धनराशि नगद भुगतान की जाएगी। 

सचिव ने बताया कि उक्त स्वीकृत महंगाई भत्ता अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को भी अनुमन्य होगा। सरकार के इस फैसले से तकरीबन दो लाख कार्मिक लाभान्वित होंगे।  

रोडवेज चालक-परिचालक का रात्रि विश्राम भत्ता बढ़ा

लंबे समय से चल रही चालक-परिचालकों का रात्रि विश्राम भत्ता बढ़ाने की मांग रोडवेज प्रबंधन ने मान ली है। प्रबंधन ने आदेश जारी करते हुए मैदानी मार्गो पर रात्रि विश्राम भत्ता 75 रुपये किया गया है, जबकि पर्वतीय मार्गो पर 112.50 रुपये। नई दरें एक अक्टूबर से लागू होंगी।

मौजूदा समय में मैदानी मार्ग पर रात्रि विश्राम भत्ता 65 रुपये जबकि पर्वतीय मार्ग पर 100 रुपये है। उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन और उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन लगातार प्रबंधन पर रात्रि विश्राम भत्ता बढ़ाने का दबाव बना रही थी। 

पिछले दिनों कर्मचारी संगठनों और प्रबंधन के बीच हुई समझौता वार्ता में इस पर सहमति बनी थी। जिस पर महाप्रबंधक दीपक जैन ने इसके आदेश जारी कर दिए। 

एजीएम को दिया नोटिस 

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ग्रामीण डिपो शाखा के पदाधिकारियों द्वारा डिपो एजीएम को आंदोलन का नोटिस दिया गया है। आरोप है कि डिपो में बसों की दशा बेहद खराब है और वे रास्ते में ब्रेक-डाउन हो रहीं। जिससे बस स्टॉफ को यात्रियों के गुस्से का शिकार बनना पड़ रहा। आरोप है कि कार्यशाला से बसों को बिना जांच-पड़ताल के रूट पर भेजा जा रहा है। 

यूनियन के शाखा मंत्री नीरज कुमार ने बताया कि अगर दो अक्टूबर तक उनकी मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो वे चार अक्टूबर से डिपो कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करेंगे।

ऊर्जा निगम में समान कार्य, समान वेतन की राह खुली

ऊर्जा निगम में समान कार्य, समान वेतन की राह खुल गई है। हाई कोर्ट के आदेश पर यहां के पांच कार्मिकों (डाटा एंट्री ऑपरेटर/स्टेनोग्राफर) को नियमित कार्मिकों की तरह वेतन जारी करने के आदेश बुधवार को प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने जारी कर दिए। 

उपनल के माध्यम से नियुक्त इन कार्मिकों को आठ-10 हजार रुपये प्रतिमाह की जगह 25 हजार रुपये का वेतन प्राप्त हो सकेगा। आदेश के बाद अब ऊर्जा निगम समेत तीनों बिजली निगमों के करीब 4000 कार्मिकों को भी समान कार्य, समान वेतन देने की राह खुल गई है।

समान कार्य, समान वेतन की मांग को लेकर विनोद कुमार कवि और अन्य के मामले में हाई कोर्ट ने मार्च 2018 में समान कार्य के लिए समान वेतन जारी करने के आदेश पारित किए थे। हालांकि ऊर्जा निगम ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया। जिसके बाद संबंधित कार्मिकों ने न्यायालय में अवमानना का वाद दायर किया। 

ऐसे में विभिन्न अधिकारियों पर अवमानना की तलवार भी लटक गई थी और मामले में सुनवाई होनी है। कोर्ट की अवमानना का सामना करने से पहले ही ऐन वक्त पर प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने यह आदेश जारी कर दिए। कोर्ट गए कर्मचारियों को वेतन के साथ अन्य सुविधाएं भी समान रूप से मिलेंगी। 

हालांकि इस आदेश के खिलाफ ऊर्जा निगम ने अपील की है, लिहाजा आदेश को कोर्ट के अग्रिम आदेश के अधीन रखा गया है। इस मामले में उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कुमार कवि का कहना है कि समान कार्य व समान वेतन को लेकर औद्योगिकी न्यायाधिकरण ने पूर्व में आदेश दिए हैं। उनकी मांग है कि तीनों बिजली निगमों में इसके अनुसार वेतन दिया जाना चाहिए।

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