मिशन अंत्योदय : सामने आएगी गांवों की असल तस्वीर, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड की 7791 ग्राम पंचायतों में शामिल 16 हजार गांवों में आधारभूत सुविधाओं और सेवा क्षेत्र की वर्तमान में क्या स्थिति है इसकी असल तस्वीर अब मिशन अंत्योदय के तहत चल रहे सर्वे में सामने आएगी। यह सर्वे दिसंबर तक पूरा हो जाएगा ।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड की 7791 ग्राम पंचायतों में शामिल 16 हजार गांवों में आधारभूत सुविधाओं और सेवा क्षेत्र की वर्तमान में क्या स्थिति है, इसकी असल तस्वीर अब मिशन अंत्योदय के तहत चल रहे सर्वे में सामने आएगी। यह सर्वे दिसंबर तक पूरा हो जाएगा और फिर इसके आधार पर गांवों के विकास की योजनाएं तैयार की जाएंगी।
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में अलग राज्य बनने के बाद भी गांव निरंतर हाशिये पर रहे हैं। ऐसा नहीं कि गांवों के विकास को योजनाएं न बनी हों, लेकिन योजनाओं में स्थानीय परिस्थितियों की अनदेखी और ग्रामीणों को केंद्र में न रखने के कारण ये सफेद हाथी साबित हुईं। ऐसे में न तो मूलभूत सुविधाएं ठीक से पसर पाईं और न रोजगार के अवसर ही सृजित हो पाए। गांवों से हो रहे पलायन के पीछे सबसे बड़ी वजह भी यही है। पलायन आयोग की रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है।
हालांकि, अब मौजूदा सरकार ने गांवों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। किसानों की आय में बढ़ोतरी के साथ ही गांवों के विकास को कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आगामी वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्राम पंचायत की ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की कसरत चल रही है। इसमें दो अक्टूबर से प्रदेश में मिशन अंत्योदय के तहत चल रहा सर्वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा कराए जा रहे इस सर्वे से गांवों में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, अस्पताल, खडंज़ा जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ ही बैंकिंग सेवा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, रसोई गैस समेत अन्य सेवा क्षेत्र की सही स्थिति सामने आएगी।
अपर सचिव ग्राम्य विकास रामविलास यादव के अनुसार अंत्योदय सर्वे में जो भी गैप निकलकर आएंगे, उनके संबंध में जीपीडीपी में योजनाएं शामिल की जाएंगी। साथ ही संबंधित विभाग भी इसे अपने एजेंडे में शामिल करेंगे। विभाग का प्रयास ये है कि दिसंबर तक सर्वे का कार्य पूरा हो जाए। अभी तक करीब 75 फीसद कार्य पूरा हो चुका है। सर्वे की रिपोर्ट पंचायतीराज विभाग को सौंपी जाएगी, ताकि गांवों के विकास योजनाएं तैयार करने में इससे मदद मिल सके।