भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने वाले कैडेटों का ग्राफ गिरा, जानिए
देश-विदेश की सेना को 61 हजार 303 युवा सैन्य अधिकारी दे चुके भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने वाले कैडेटों की संख्या निरंतर कम हो रही है।
By Edited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 05:12 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। देश-विदेश की सेना को 61 हजार 303 युवा सैन्य अधिकारी दे चुके भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने वाले कैडेटों की संख्या निरंतर कम हो रही है। आठ जून को आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में भारतीय सेना को 382 युवा सैन्य अधिकारी मिलेंगे। पिछले एक दशक में यह तीसरा अवसर है जब भारतीय कैडेटों की तादाद चार सौ से कम है। टेक्निकल इंट्री स्कीम के कैडेटों के अब ओटीए गया से पास आउट होने की वजह से भी यह स्थिति बनी है। भारतीय सेना पिछले लंबे समय से अधिकारियों की कमी से जूझ रही है।
युवाओं को सैन्य सेवा के प्रति आकर्षित करने के लिए सैन्य प्रबंधन कुछ अंतराल बाद कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। सातवां वेतनमान लागू होने के बाद कॉरपोरेट की तुलना में सेना में वेतन-भत्ते भी बेहतर हुए हैं। यही नहीं सुविधाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। पर उस मुताबिक चयन नहीं हो रहा है। दरअसल, सेना का यह स्पष्ट नियम है कि चयन के लिए निर्धारित मापदंडों से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। संघ लोक सेवा आयोग साल में दो बार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा आयोजित करता है। देशभर में लाखों युवा परीक्षा में शामिल होते हैं, पर सफल कम ही होते हैं। उस पर लिखित परीक्षा में सफल ज्यादातर युवा साक्षात्कार (एसएसबी) और मेडिकल में बाहर हो जाते हैं। यह भी कैडेटों की कम संख्या का एक कारण है।
बीते वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2015 तक भारतीय सैन्य अकादमी में जून और दिसंबर में होने वाली पासिंग आउट परेड में भारतीय कैडेटों की संख्या छह सौ से अधिक रहती थी, वहीं इसके बाद यह ग्राफ नीचे गिरता चला गया। जून 2017 में अकादमी से भारतीय सेना को 423 और दिसंबर 2017 में 409 युवा अफसर मिले थे। इसके बाद वर्ष 2018 में जून व दिसंबर में हुई पासिंग आउट परेड में पास आउट होने वाली भारतीय कैडेटों की संख्या चार सौ से भी कम हो गई।
इस बार भी तकरीबन इतने ही जेंटलमैन कैडेट सैन्य अकादमी से पास आउट होने जा रहे हैं। यहां यह बताना भी जरूरी है कि टेक्निकल इंट्री स्कीम के जरिए आए कैडेट भी पहले आइएमए में प्रशिक्षण लेते थे। पर अब वह ओटीए गया में प्रशिक्षण लेते हैं।
गत वर्षों में पासआउट भारतीय कैडेट
जून 2013-631
दिसम्बर 2013-617
जून 2014-636
दिसंबर 2014 -601
जून 2015-616
दिसंबर 2015-469
जून 2016-565
दिसंबर 2016-401
जून 2017-423
दिसंबर 2017-409
जून 2018-383 दिसंबर 2018-347
अफसर देने में उत्तराखंड फिर अग्रणी
देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है। वहीं भारतीय सेना का हर पाचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है। इस बार भी इसकी बानगी दिखाई देगी। उत्तराखंड के 30 से अधिक युवा सैन्य अफसर बनेंगे। बता दें, जनसंख्या घनत्व के लिहाज से उत्तराखंड सबसे ज्यादा जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है। प्रदेश का यह तमगा इस बार भी बरकरार रहेगा।
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