अस्पतालों में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी, धूल फांक रहे हैं लाखों के उपकरण
प्रदेश में साल 2013-14 और 2014-15 के लिए कराए गए ऑडिट में महकमे में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता सामने आई हैं।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: एक ओर सरकारी अस्पतालों में उपचार और दवाइयों के लिए मरीज और उनके तीमारदार मुश्किलों से जूझने को विवश हैं। वहीं जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग करने से चिकित्साधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं। आनन-फानन में लाखों रुपये से खरीदी गईं मशीनें अस्पतालों में धूल फांक रही हैं।
दरअसल, साल 2013-14 और 2014-15 के लिए कराए गए ऑडिट में महकमे में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता सामने आई हैं। आलम ये है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रामनगर ने देहरादून की एक दवा फर्म को दोहरा भुगतान कर दिया तो इलेक्ट्रिकल कंपनी पर भी ऐसी ही मेहरबानी की गई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नैनीताल के कार्यालय में 7.85 लाख धनराशि के गबन का अंदेशा जताया गया है। एक फार्मेसिस्ट, एक नेत्र सहायक और एक वरिष्ठ चिकित्साधिकारी का वेतन गलत निर्धारित किया गया। वर्ष 2011 से 2015 तक मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून के विशेष ऑडिट में बड़ी गड़बड़ियां पकड़ी गई हैं।
उक्त कार्यालय से 219.15 लाख रुपये की खरीद में अनियमितता मिली है। वर्ष 2013-14 में मुख्यमंत्री के भ्रमण के लिए 10.89 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में दोहरे और अनियमित भुगतान की वसूली की सिफारिश की गई है। वहीं ऑडिट रिपोर्ट से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप है। उधर, स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने कहा कि ऑडिट में सामने आई अनियमितता पर रिपोर्ट तलब की जाएगी। अनियमितता की पुष्टि होने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए कराए गए ऑडिट की रिपोर्ट में बागेश्वर, रामनगर, नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, नैनीताल के मुख्य चिकित्साधिकारी, रामनगर, मोहत्तुल्लाह, धौला देवी, ताड़ीखेत और बीडी पांडेय महिला जिला चिकित्सालय नैनीताल के प्रभागीय चिकित्साधिकारियों की ओर से दवाइयों की खरीद, अन्य सामान की खरीद, बैंक खातों में सरकारी धन की पार्किंग, निर्माण कार्यों के बिल भुगतान, लाखों के उपकरणों के निष्प्रयोज्य पड़े होने का खुलासा किया गया है।
सीएमओ, देहरादून (विशेष ऑडिट: वर्ष 2011 से 2015)
-जिला योजना मद के तहत सामग्री खरीद और निर्गमन की प्रक्रिया में वर्ष 2011-12 के अतिरिक्त किसी भी वर्ष के लिए टेंडर आमंत्रित नहीं किए गए। प्रोक्योरमेंट नियमों का उल्लंघन किए जाने से उक्त वर्षों में 219.15 लाख रुपये से अनियमित खरीद की गई।
-1.26 लाख की टैक्स चोरी और 26.37 लाख के संदिग्ध बिल: मैसर्स संजय कुमार को टैक्स इन्वॉयस के रूप में प्रेषित बिलों के आधार पर 26.37 लाख का भुगतान किया। टैक्स इन्वॉयस एक पंजीकृत विक्रेता से दूसरे पंजीकृत डीलर को जारी की जाती है, जबकि उक्त बिलों पर फर्म का टीआइएन नंबर भी दर्ज नहीं किया गया था। इसमें वैट चोरी का अंदेशा जताया गया है।
-वित्तीय वर्ष 2013-14 में काला टूर एवं ट्रेवल्स धर्मपुर को मुख्यमंत्री के भ्रमण के लिए व्यावसायिक सेवाएं मद से 10.89 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। इसमें प्रोक्योरमेंट नियमावली का पालन नहीं हुआ।
सीएमएस रामनगर (2013-14)
मेडिसिन मद में मैसर्स ऋषम इंटरप्राइजेज देहरादून को 38395 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। इस दोहरे भुगतान की वसूली की सिफारिश की गई है। वहीं मैसर्स तिवारी इलेक्ट्रिकल्स, रामनगर को 7185 रुपये ज्यादा भुगतान किया गया। यूजर चार्ज की 95,237 की धनराशि को अनियमित रूप से कार्यालय खर्च एवं अन्य मदों में खर्च किया गया। एनआरएचएम की तीन परियोजनाओं की जमा धनराशि पर मिले 42,0552 रुपये ब्याज को सरकारी खजाने में वापस जमा नहीं कराया गया।
सीएमएस नैनीताल (2014-15)
-बीडी पांडे स्कूल ऑफ नर्सिंग नैनीताल के खाता बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा से 685000 रुपये एवं एक लाख रुपये अनधिकृत रूप से निकाले गए। इस मामले में एफआइआर दर्ज हो चुकी है। ऑडिट में इस राशि के गबन का अंदेशा जताया गया है।
-बीडी पांडे जिला चिकित्सालय नैनीताल में 142.48 लाख राशि से बहुमूल्य चिकित्सा उपकरण खरीदे गए, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया गया।
सीएमओ नैनीताल (2014-15)
-नेत्र सहायक नीरज वाष्र्णेय को एसीपी का लाभ वेतन वृद्धि से पहले देने के कारण सेवा पुस्तिका में गलत वेतन निर्धारण
-वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ जेएस बिष्ट को पदोन्नति में गलत वेतन निर्धारण, उक्त दोनों मामलों में वसूली की सिफारिश
-श्रीराम जोशी संयुक्त चिकित्सालय रामनगर में वर्ष 2014-15 में दवा खरीद में शासनादेश की अनदेखी, दवा गुणवत्ता का परीक्षण नहीं कराया
बीडी पांडेय, महिला जिला चिकित्सालय, नैनीताल
अस्पताल में 3.26 लाख से चिकित्सा उपकरण खरीदा गया, लेकिन नौ वर्षों से इसका इस्तेमाल नहीं हो सका। चिकित्सक आवासों के लिए लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड नैनीताल को 20 लाख की राशि में से 13.15 लाख रुपये वर्ष 2009 से कार्यदायी संस्था के पास बगैर इस्तेमाल पड़े रहे।
-प्रभागीय चिकित्साधिकारी मोहत्तुल्लाह में वर्ष 2014-15 में नौ हजार से ज्यादा ब्याज धनराशि को राजकोष में जमा नहीं किया गया। फार्मासिस्ट केएन जोशी को एसीपी का गलत निर्धारण का अधिक वेतन भुगतान किया गया।
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