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मानव तस्करी और अनैतिक कार्य में मां-बेटे को दस साल कैद

नौकरी का झांसा देकर युवतियों से अनैतिक काम कराने वाले मां व बेटे को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने दस वर्ष कारावास व 12 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

By Edited By: Published: Wed, 22 May 2019 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 12:28 PM (IST)
मानव तस्करी और अनैतिक कार्य में मां-बेटे को दस साल कैद
मानव तस्करी और अनैतिक कार्य में मां-बेटे को दस साल कैद

ऋषिकेश, जेएनएन। नौकरी का झांसा देकर युवतियों से अनैतिक काम कराने वाले मां व बेटे को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने दस वर्ष कारावास व 12 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। मामला 28 मार्च 2018 का है। 

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मानव तस्करी नियंत्रण इकाई व ऋषिकेश कोतवाली पुलिस ने एक कार में एक महिला और उसके पुत्र को दो युवतियों के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में युवतियों ने बताया कि आरोपित महिला मंजू निवासी रामनगर, लक्खीबाग, देहरादून ने उन्हें नौकरी का झांसा देकर अपने पास बुलाया था। नौकरी देने के बजाय महिला उनसे अनैतिक कार्य करानी लगी। 

आरोप था कि महिला मंजू अपने पुत्र ऋषभ के साथ अनैचित काम के लिए कभी हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून ले जाती थी। इस दिन वह पकड़ी गई, उस दिन भी उन्हें हरिद्वार ले जाया गया था, जहां ग्राहक से बात नहीं बनी और फिर महिला व उनका पुत्र उन्हें देहरादून में दूसरे ग्राहकों के पास ले जा रहे थे। इस बीच नटराज चौक के समीप पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। 

पुलिस ने इस मामले में मंजू पत्नी आदर्श कुमार व ऋषभ पुत्र आदर्श कुमार दोनों निवासी रामनगर, लक्खीबाग देहरादून के खिलाफ मानव तस्करी व अनैतिक कार्य आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। 

इस मामले में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा की अदालत में सजा सुनाई गई। न्यायालय ने मानव तस्करी में दोनों मां-बेटे को दस साल कारावास व दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं अनैतिक कार्य कराने के आरोप में पांच वर्ष के कारावास व दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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