Move to Jagran APP

जल्द उठेगा इस रहस्य से पर्दा, हिमालयी क्षेत्रों में कितनी है स्नो लेपर्ड की संख्या

हिमालयी क्षेत्रों में स्नो लेपर्ड की वास्तविक संख्या कितनी है। इसका जल्द ही खुलासा हो जाएगा। हिम तेंदुओं की गणना व मॉनीटरिंग के लिए एक माह के भीतर प्रोटोकॉल तैयार कर लिया जाएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 08:27 AM (IST)
जल्द उठेगा इस रहस्य से पर्दा, हिमालयी क्षेत्रों में कितनी है स्नो लेपर्ड की संख्या
जल्द उठेगा इस रहस्य से पर्दा, हिमालयी क्षेत्रों में कितनी है स्नो लेपर्ड की संख्या

देहरादून, [केदार दत्त]: देश के हिमालयी क्षेत्रों में स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुए) की वास्तविक संख्या कितनी है, इस रहस्य से जल्द ही पर्दा उठ जाएगा। हिम तेंदुओं की गणना व मॉनीटरिंग के लिए एक माह के भीतर प्रोटोकॉल तैयार कर लिया जाएगा। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) की पहल पर हाल में दिल्ली में हुई बैठक में इसका जिम्मा भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ), ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इको सिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (जीएसएलईपीपी) व नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन को सौंपा गया। प्रोटोकॉल तैयार होने के बाद प्रथम चरण में इसके अनुरूप उत्तराखंड समेत उन चार राज्यों में हिम तेंदुओं की गणना की जाएगी, जहां सिक्योर हिमालय परियोजना चल रही है।

prime article banner

हिंदूकुश रीजन के अंतर्गत आने वाले भारत समेत 12 देशों के हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी है, लेकिन इनकी सही संख्या का अब तक पता नहीं चल पाया है। कुछ समय पहले हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड ईको सिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम की स्टीयरिंग कमेटी की किर्गिस्तान में हुई बैठक में इन सभी देशों में हिम तेंदुओं का आकलन कराने का निर्णय लिया गया था।

देश में एमओईएफ की ओर से कवायद शुरू कर दी गई है।

इस कड़ी में हाल में दिल्ली में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से बुलाई गई बैठक में उन चार राज्यों को भी आमंत्रित किया गया, जिनमें संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट चल रहा है। यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व सिक्किम में चल रहा है। इस बैठक में आइएफएस सुरेंद्र मेहरा ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया। यह बैठक में मुख्य रूप से देश में हिम तेंदुओं की गणना के मद्देनजर प्रोटोकॉल तैयार करने पर फोकस रही। इसके लिए एक माह की समयावधि तय की गई।

राज्य में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक वन्यजीवों की गणना में प्रोटोकॉल अहम होता है। इसके आधार पर ही गणना व मॉनीटङ्क्षरग के लिए क्षेत्रों का निर्धारण, कैमरा ट्रैपिंग, फेजवार गणना के लिए कदम उठाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि स्नो लेपर्ड का प्रोटोकॉल तैयार होने के बाद देशभर में इसी के आधार पर स्नो लेपर्ड का आकलन किया जाएगा। प्रथम चरण में सिक्योर हिमालय परियोजना वाले चारों राज्यों से इसकी शुरुआत होगी। उम्मीद है कि अगले साल जनवरी से प्रोटोकॉल के तहत कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

गंगोत्री से अस्कोट तक क्षेत्र शामिल

चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र को सिक्योर हिमालय परियोजना में शामिल किया गया है। पिछले वर्ष से प्रारंभ हुई इस परियोजना के तहत वहां हिम तेंदुओं के साथ ही जैव विविधता संरक्षण और आजीविका विकास को विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाने हैं। इन क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। कई मर्तबा इनकी तस्वीरें कैमरा ट्रैप में कैद हुई हैं।

यह भी पढ़ें: हिम तेंदुओं की गिनती के लिए डब्ल्यूआइआइ की मदद

यह भी पढ़ें: केदारनाथ में दूसरी बार कैमरे में कैद हुई दुर्लभ हिम लोमड़ी

यह भी पढ़ें: हिम तेंदुओं का शिकार रोकने को चिह्नित होंगे संवेदनशील स्थल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK