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Coronavirus: कोरोना वायरस की चपेट में सूबे का फार्मा उद्योग, पढ़िए पूरी खबर

चीन में फैले कोरोना वायरस का असर प्रदेश के फार्मा उद्योग पर भी पड़ने लगा है। चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद वहां से रासायनिक पदार्थों और कच्चे माल का आयात लगभग ठप है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 10:15 AM (IST)
Coronavirus: कोरोना वायरस की चपेट में सूबे का फार्मा उद्योग, पढ़िए पूरी खबर
Coronavirus: कोरोना वायरस की चपेट में सूबे का फार्मा उद्योग, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। चीन में फैले कोरोना वायरस का असर प्रदेश के फार्मा उद्योग पर भी पडऩे लगा है। दरअसल, फार्मा इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले 70 से 80 फीसद रासायनिक पदार्थ और कच्चे माल का आयात चीन से होता है। जो विभिन्न ट्रेडर्स और डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से फार्मा इकाइयों तक पहुंचता है। लेकिन, चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद वहां से रासायनिक पदार्थों और कच्चे माल का आयात लगभग ठप है। 

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फार्मा उद्यमियों का कहना है कि इसके चलते ट्रेडर्स व डिस्ट्रीब्यूटरों ने विभिन्न केमिकल और कच्चे माल की कीमतों में भारी इजाफा कर दिया है। हालात ये हैं कि प्रदेश के फार्मा उद्योगों के पास मार्च के प्रथम सप्ताह तक का ही कच्चा माल बचा हुआ है। उसके बाद कई इकाइयों का उत्पादन तेजी से गिर सकता है। इससे कई प्रदेशों में दवा की सप्लाई प्रभावित होगी। जिससे आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

पंजाब तक होती है दवा की सप्लाई

प्रदेश में 322 फार्मा इकाइयां हैं। जिनमें करीब एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। अधिकांश फार्मा इकाइयां सेलाकुईं, हरिद्वार, रुद्रपुर, ऊधमसिंहनगर में हैं। इन इकाइयों से उत्तर प्रदेश, हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तक दवाइयों की सप्लाई की जाती है। 

15 रुपये में दे रहे 70 पैसे वाला मास्क

फार्मा उद्यमियों का कहना है कि दवा कंपनियों में काम के दौरान कर्मचारी जिस मास्क का प्रयोग करते हैं, उसकी कीमत महज 65 से 70 पैसे होती है। लेकिन अब डिस्ट्रीब्यूटर एक मास्क 12 से 15 रुपये का दे रहे हैं। इसी प्रकार अन्य सामग्री के लिए भी कई गुना अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। 

केंद्र व राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग

फार्मा इकाइयां कच्चे माल और रसायन की बड़ी मात्रा ट्रेडर्स के माध्यम से लेती हैं। जबकि फुटकर सामान डिस्ट्रीब्यूटरों से लिया जाता है। फार्मा उद्यमियों का कहना है कि ट्रेडर्स ने भी कच्चे माल का दाम 10 से 15 फीसद तक बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि केंद्र व राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। अभी 15 से 20 दिन का स्टॉक है, लेकिन आने वाले दिनों में दिक्कतें बढ़ेंगी।

पंकज गुप्ता (अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड) का कहना है कि उत्तराखंड की फार्मा इंडस्ट्री का अधिकतर कच्चा माल चीन से आयात होता है। चीन में फैले कोरोना वायरस के कारण वहां से कच्चे माल की आपूर्ति पूरी तरह बंद है। देहरादून के फार्मा उद्योगों के पास अभी कुछ समय के लिए तो कच्चा माल का स्टॉक है, लेकिन फार्मा ट्रेडर्स ने 800 रुपये वाले कच्चे की कीमत 1700 से 1800 तक बढ़ा दी है। जिससे आने वाले दिनों में राज्य के उद्योगों में उत्पादन तेजी से गिर सकता है।

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अशोक विंडलास (डिप्टी चेयरमैन, भारतीय उद्योग परिसंघ) का कहना है कि चीन में कोरोना वायरस की भयावहता प्राप्त हो रही सूचना से कई गुना अधिक है। फिलहाल चीन से फार्मा उद्योगों में प्रयोग होने वाले केमिकल व अन्य सामान की आपूर्ति बंद है। देश में हैदराबाद व अहमदाबाद में पहले फार्मा केमिकल तैयार किया जाता था, जिसे पर्यावरण की दृष्टि से बेहद कम कर दिया गया है। अभी फार्मा उद्योग पूरी तरह चीन पर निर्भर हैं। 

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