चिकित्सक और योगाचार्य बोले, मतभेद और मनभेद को खत्म कर कोरोना से लड़ना जरूरी
बाबा रामदेव की एलोपैथी पर बयानबाजी के बाद एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा समुदाय में मानो जंग छिड़ गई है। वहीं दूसरी ओर कई लोग इस मुश्किल समय की गंभीरता को समझते हुए दोनों पैथी के बीच सौहार्द स्थापित करने में लगे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। बाबा रामदेव की एलोपैथी पर बयानबाजी के बाद एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा समुदाय में मानो जंग छिड़ गई है। वहीं, दूसरी ओर कई लोग इस मुश्किल समय की गंभीरता को समझते हुए दोनों पैथी के बीच सौहार्द स्थापित करने में लगे हैं। शुक्रवार को संस्कार परिवार देहरादून और आइएमए उत्तराखंड की ओर से ऐसी ही एक पहल की गई। डाक्टरों और योगाचार्यों ने एक मंच पर आकर एलोपैथी व आयुर्वेदिक डाक्टरों से मतभेद और मनभेद खत्म कर कोरोना के खिलाफ मिलकर जंग लड़ने का आह्वान किया। इस मौके पर एलोपैथी के डाक्टरों और नर्सों को सम्मानित भी किया गया।
चकराता रोड स्थित आइएमए ब्लड बैंक में मानव संस्कार परिवार देहरादून की ओर से एलोपैथी के डाक्टरों व नर्सों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्कार परिवार के संस्थापक आचार्य विपिन जोशी ने कहा कि योग का अर्थ ही जोड़ होता है। इसलिए इस कठिन समय में बाबा रामदेव को डाक्टरों को तोडऩे का कार्य नहीं करना चाहिए। यह वक्त तो एक दूसरे का साथ निभाने का है, जब साथ रहेंगे तभी इस कोरोना की आपदा से उभर सकेंगे। संवादहीनता और बयानबाजी छोड़ कर हर चिकित्सा पद्धति से जुड़े व्यक्तियों को साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान का भंडार होने के बाद भी शोध की कमी के चलते आयुर्वेद ठीक से विकास नहीं कर सका। मानव सभ्यता के हित के लिए आइएमए और आयुर्वेदाचार्यों को एक साथ आकर शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा।
आइएमए के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीडी चौधरी ने कहा कि भारत का हर व्यक्ति योग को मानता है। योग खुद एक विज्ञान है और विज्ञान किसी धर्म से नहीं जुड़ा होता। किसी एक व्यक्ति के भ्रम फैलाने से इस भावना में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। हमारा विरोध आयुर्वेद या योग के प्रति नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति से है जो भ्रम फैलाने का काम कर रहा है। चौधरी ने कहा कि यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि किसी एक चिकित्सा पद्धति से हर बीमारी का इलाज संभव नहीं, हर पद्धति को अपनी जिम्मेदारी बराबर निभानी होगी। बाबा रामदेव के एलोपैथी के डाक्टरों को आयुर्वेदिक डाक्टरी में ले आने के बयान पर उन्होंने कहा कि यह डाक्टर बन रहे व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह किस पद्धति में इलाज करना चाहता है।
जिनका विवेक नहीं, उनसे उलझकर फायदा नहीं
सिनर्जी अस्पताल के निदेशक डा. कृष्ण अवतार ने कहा कि एलोपैथी भी आयुर्वेद का पूरा सम्मान करती है। आइएमए की प्रार्थना में भी प्राचीनता शामिल है, लेकिन किसी व्यक्ति के बयान से इन दोनों पद्धतियों में कोई दूरी नहीं आ सकती। जिनका कोई विवेक नहीं, उनसे उलझ कर कोई फायदा नहीं।
इनका हुआ सम्मान
डा. कृष्ण अवतार, डा. शशि उप्रेती, डा. स्वाति, डा. अमित, डा. डीडी चौधरी, डा. संजय उप्रेती, डा. गौरव लूथरा, डा. सौरभ लूथरा, डा. बीएस जज, डा. सिद्धार्थ खन्ना, नर्स अजीत चौधरी व विभूति।
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