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coronavirus effect: कोरोना के कहर से कराहने लगी हैं औद्योगिक इकाइयां, कई परिवारों पर संकट

उत्तराखंड में हुए लॉक डाउन का असर सेलाकुई स्थित औद्योगिक इकाइयों पर भी व्यापक स्तर पर पड़ेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2020 01:53 PM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2020 01:53 PM (IST)
coronavirus effect: कोरोना के कहर से कराहने लगी हैं औद्योगिक इकाइयां, कई परिवारों पर संकट
coronavirus effect: कोरोना के कहर से कराहने लगी हैं औद्योगिक इकाइयां, कई परिवारों पर संकट

देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉक डाउन का असर सेलाकुई स्थित औद्योगिक इकाइयों पर भी व्यापक स्तर पर पड़ेगा। चीन से आने वाले कच्चे माल के नहीं मिलने से पहले ही सुस्त चल रही उद्योगों की नब्ज लॉक डाउन के सरकारी आदेश के बाद गंभीर स्थिति में आ जाएगी। कई उद्योगपतियों का कहना है कि औद्योगिक इकाइयां बंद होने से न सिर्फ हजारों की तादाद में कर्मचारी और उनके परिवार के लोग प्रभावित होंगे, बल्कि उद्योगों के साथ जुड़े अन्य व्यवसायियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचेगा।

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उत्तराखंड सरकार ने 31 मार्च तक लॉक डाउन किए जाने की घोषणा के बाद पछवादून की आद्यौगिक क्षेत्र सेलाकुई में स्थापित की गई फार्मा और अन्य सेक्टर की औद्योगिक इकाईयों में चल रही उत्पादन की व्यवस्था को पूरी तरह रोक देने की तैयारी कर ली गई है। रविवार जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले ही अंतिम रूप देना शुरू कर दिया गया था। इंडस्ट्री के जानकारों की मानें तो सेलाकुई की अधिकतर कंपनियों में शनिवार की शाम से ही इस प्रकार की संभावनाओं को देखते हुए उत्पादन क्षमता को कम कर दिया गया था। 

अब जब सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा कर दी है, तो ऐसे में सभी कंपनियों को पूर्णत: बंद कर दिया जाएगा। फार्मा कंपनी से जुड़े उद्योगपति प्रमोद किलानी का कहना है कि क्षेत्र की सभी औद्योगिक इकाईयों में 15000 से अधिक कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। काम बंद होने से कर्मचारी और उनके परिवार सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। औद्योगिक इकाईयों से जुड़े अन्य व्यापारियों और काम करने वाले जिनकी संख्या एक लाख से अधिक है उन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन उत्तराखंड वाइस प्रेसिडेंट लतीफ चौधरी ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा की दृष्टि से काफी इंतजाम किए गए हैं। कर्मचारियों के हाथ धुलाने से लेकर सभी स्थानों को बार-बार सैनिटाइज किया जा रहा है। लेकिन सरकार के इंडस्ट्रीज को बंद करने के फैसले का सभी उद्योगपति पालन करेंगे। लेकिन सरकार से लाइफ से¨वग ड्रग्स, मास्क और सैैनिटाइजर बना रही कंपनियों को बंद नहीं करने की अपील भी की जाएगी।

कोरोना वॉयरस का पहले से ही दंश झेल रही इंडस्ट्री

चीन में फैले कोरोना वॉयरस के कारण 23 जनवरी से किसी भी प्रकार के सामान का आयात वहां से नहीं किया जा सका है। ऐसे में इंडस्ट्री संचालकों के सामने पहले से ही संकट की स्थिति है। बताते चलें कि फार्मा सेक्टर की इंडस्ट्री में इस्तेमाल किए जाने वाले तमाम बेसिक ड्रग्स, एंटिबॉयटिक साल्ट चीन से आयात किए जाते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रानिक्स इंडस्ट्री में बनने वाले सामान कंप्रेशर, माइक्रोचिप्स, पॉलीकेप, रेसिसटेंस, कैपेसटर आदि चीन से ही मंगाए जाते हैं। 

अधिकतर कंपनियों में कच्चे माल की कमी के कारण प्रोडक्शन की स्पीड बेहद धीमी हो गई थी। इसके अलावा इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर की एक बड़ी कंपनी का प्रोडक्शन बंदी के कगार पर पहुंच गया है। अब लॉकडाउन की घोषणा के बाद इंडस्ट्रीज बंद होने की उम्मीद है।

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जौनसार बावर में सैनिटाइज किए बाजार

रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान स्वास्थ्य विभाग और थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने नया बाजार त्यूणी के साथ ही शिक्षण संस्थानों में सैनिटाइजर का छिड़काव किया। इसके अलावा बाशिक महासू मंदिर मैंद्रथ और अन्य सार्वजनिक स्थलों को भी सैनिटाइज किया गया। इसमें मेन बाजार त्यूणी, गेट बाजार त्यूणी, कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रवास, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय, वन विभाग और लोनिवि के विश्रम गृह, एसबीआई, पीएनबी, ग्रामीण बैंक शाखा, एटीएम, बाशिक महासू देवता मंदिर मैंद्रथ और अन्य सार्वजनिक स्थलों में पहुंचकर टीम ने सैनिटाइजर का छिड़काव किया। टीम का नेतृत्व प्रभारी चिकित्साधिकारी राजकीय अस्पताल त्यूणी डॉ. नरेंद्र राणा और थानाध्यक्ष संदीप पंवार ने किया।

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