मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म का मामला, सजा सुनते ही आंखों में दिखा पश्चाताप
नारी निकेतन प्रकरण में सजा सुनते ही दोषियों की आंखों से आंसू छलक पड़े। यह आंसू चार साल पहले किए अपराध के पश्चाताप के थे।
देहरादून, जेएनएन। सजा सुनते ही नारी निकेतन प्रकरण के दोषियों की आंखों से आंसू छलक पड़े। यह आंसू चार साल पहले किए अपराध के पश्चाताप के थे। मगर इस पछतावे का अब कोई मोल नहीं था, क्योंकि जिस मूक-बधिर संवासिनी को गलत हाथों में पड़ने से बचाने के लिए नारी निकेतन में रखा गया, उसके साथ उसी चहारदीवारी के भीतर न केवल दुष्कर्म हुआ, बल्कि उसका गर्भपात तक करा दिया गया। इतना ही नहीं, इस मामले को नारी निकेतन के भीतर ही रफा-दफा करने की पुरजोर कोशिश की गई, लेकिन अपराधी कितनी भी कोशिश कर ले, गुनाह कभी छिप नहीं सकता।
नारी निकेतन में रखी गई मूक-बधिर संवासिनी के साथ अक्टूबर 2015 में दुष्कर्म होने के बाद पूरा का स्टाफ इस जुगत में लग गया था कि कैसे इस पूरे वाकयात को निकेतन के अंदर ही दफन कर दिया जाएगा। पूरी कोशिश भी हुई। दुष्कर्म के कुछ दिनों बाद जब संवासिनी की हालत बिगड़ने लगी थी तो उसे आनन-फानन में दून मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां जब यह पता चला कि वह गर्भवती है और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा। इसके बाद भी डाक्टरों की सलाह को दरकिनार करते हुए संवासिनी को वापस नारी निकेतन लाया गया और उसे कोई दवा देकर गर्भपात करा दिया। मामला करीब-करीब दब ही गया था, लेकिन इस बीच पुलिस अधिकारियों तक पहुंचे गुमनाम पत्र ने नारी निकेतन के स्टाफ के कारनामे को सुर्खियों में ला दिया।
प्रारंभिक जांच के बाद नवंबर 2015 में संवासिनी के साथ हुए यौन शोषण का खुलासा हुआ। प्रशासनिक अमले से लेकर सरकार तक में हड़कंप मच गया। नारी निकेतन के सामने काफी हंगामा हुआ और विपक्षी दलों व अन्य संगठनों ने सरकार की नाक में दम कर दिया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 24 नवंबर 2015 को इस मामले की विस्तृत जांच के लिए तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह की अगुवाई में एसआइटी गठित की। एसआईटी की जांच में नारी निकेतन में संवासिनी पर हुए जुल्म की परतें खुलती चली गईं। लगातार हुई कार्रवाई में एक-एक कर अधीक्षिका समेत नौ लोग गिरफ्तार किए गए।
यह था पूरा मामला
नवंबर 2015 में नारी निकेतन में रह रही मूक-बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और गर्भपात कराने का मामला सामने आया था। एक गोपनीय पत्र से इसका भेद खुला था। पुलिस तक जब यह बात पहुंचती, तब तक संवासिनी का गर्भपात भी करा दिया गया। तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह की अगुवाई में गठित एसआइटी ने जांच की। जांच के दौरान एसआइटी ने संवासिनी के भू्रण के डीएनए से आरोपितों के डीएनए का मिलान भी कराया।
भ्रूण का डीएनए नारी निकेतन के सफाई कर्मी गुरुदास से मेल खा गया। पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। अदालत में चार्जशीट दाखिल होने के बाद चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 23 गवाह अदालत में पेश किए, जबकि बचाव पक्ष से एक भी गवाह पेश नहीं हुआ।
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दोषियों को मिली सजा
- सफाई कर्मी गुरुदास (दुष्कर्म का दोषी): पांच साल कैद व दस हजार रुपये अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा।
- होमगार्ड ललित बिष्ट व केयर टेकर हासिम (अभिरक्षा में दुष्कर्म का दोषी) : पांच-पांच साल कैद, 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा।
- क्राफ्ट टीचर समां निगार, नर्स किरन नौटियाल, संविदा कर्मी अनीता मैंडोला व चंद्रकला क्षेत्री (गर्भपात कराने, साक्ष्य छिपाने और साजिश रचने के दोषी): चार-चार साल कैद, 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा।
- तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और संविदा कर्मी कृष्णकांत शाह उर्फ कांछा (साक्ष्य छिपाने के दोषी): दो-दो साल कैद, 5-5 हजार रुपये अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर पंद्रह दिन की अतिरिक्त सजा।
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