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श्रमिकों का शोषण कर रहे फैक्ट्री से जुड़े ठेकेदार

सेलाकुई की फैक्ट्री में फर्जी आधार कार्ड के सहारे नाबालिग लड़कियों को श्रमिक बनाने का मामला पकड़े जाने के बाद श्रमिक ठेकेदारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है। सत्यता यह भी है कि औद्योगिक इकाईयों में ठेकेदारी की यह व्यवस्था उद्योगों की धुरी के धुरी में काम करती है।

By Edited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 02:21 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 02:21 AM (IST)
श्रमिकों का शोषण कर रहे फैक्ट्री से जुड़े ठेकेदार
श्रमिकों का शोषण कर रहे फैक्ट्री से जुड़े ठेकेदार।

संवाद सहयोगी, विकासनगर: सेलाकुई की एक फैक्ट्री में फर्जी आधार कार्ड के सहारे नाबालिग लड़कियों को श्रमिक बनाने का मामला पकड़े जाने के बाद श्रमिक ठेकेदारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है। सत्यता यह भी है कि औद्योगिक इकाईयों में ठेकेदारी की यह व्यवस्था उद्योगों की धुरी के धुरी में काम करती है, लेकिन अधिकांश ठेकेदार श्रमिकों का शोषण करते हैं। सेलाकुई मामले में सबसे अधिक सवाल श्रमिकों की ठेकेदारी प्रथा पर उठे। आशंका यह भी जताई गई कि ठेकेदारों ने श्रमिकों की आयु में हेरा-फेरी करके उन्हें काम पर लगाया था। इस प्रकार की सभी आशंकाएं तो मामले की जांच पूरी हो जाने के बाद साफ होंगी, परंतु उद्योगों में ठेकेदारी प्रथा पर सवाल हमेशा से ही खड़ा होता रहा है। बताते चलें कि छोटे उद्योगों में ठेकेदारों के माध्यम से श्रमिकों को काम पर लगाने की एक बड़ी व्यवस्था है। उद्योग प्रबंधन अपनी आवश्यकता के हिसाब से ठेकेदारों से श्रमिकों की मांग करते हैं, इसके आधार पर ठेकेदार उन्हें श्रमिक उपलब्ध करा देता है। ठेकेदारों से श्रमिक का इंतजाम कराने में श्रम कानून के तहत दी जाने वाली सुविधाओं से उद्योग बच जाते हैं। अधिकतर छोटे उद्योगों में सौ फीसद तक श्रमिक ठेके पर ही लिए जाते हैं। जानकारों की मानें तो श्रमिकों के वेतन के रूप में जिस हिसाब से उद्योगपति ठेकेदारों को पेमेंट करते हैं, उतना वेतन श्रमिकों को नहीं दिया जाता है। इसके अलावा कम उम्र के बच्चों को अधिक आयु का दर्शाकर उन्हें काम पर लगाने जैसी समस्याएं भी इस माध्यम से लगाए गए श्रमिकों में देखने को मिलती हैं।

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ठेकेदारों के माध्यम से आने वाले श्रमिकों को भी उसी प्रकार की सुविधाएं उद्योगों में दी जाती हैं, जैसी कंपनी के नियमित कर्मचारियों को मिलती हैं। छोटी औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन के कम ज्यादा होने के हिसाब से श्रमिकों की संख्या भी घटती बढ़ती रहती है। इसलिए उन्हें अपनी जरूरत के हिसाब से ठेकेदारों के माध्यम से श्रमिक लेने पड़ते हैं। परंतु ठेकेदारों को श्रमिकों के स्वास्थ्य, आयु वर्ग जैसी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सही जानकारी ही कंपनियों को देनी चाहिए। जितेंद्र कुमार, अध्यक्ष उत्तराखंड इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन।


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