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भटक और अटक रहे मोबाइल नेटवर्क, परेशान हो रहे उपभोक्‍ता Dehradun News

कुछ महीनों से लगभग सभी कंपनियों के नेटवर्क की गाड़ी राजधानी दून में इसी तरह बेलगाम हो रखी है। कॉल कहीं लगाई जाती है और कनेक्शन कहीं और जुड़ जाता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:07 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 04:24 PM (IST)
भटक और अटक रहे मोबाइल नेटवर्क, परेशान हो रहे उपभोक्‍ता Dehradun News
भटक और अटक रहे मोबाइल नेटवर्क, परेशान हो रहे उपभोक्‍ता Dehradun News

देहरादून, सुमन सेमवाल। जाना था जापान पहुंच गए चीन...। चलती का नाम गाड़ी फिल्म के गीत के यह बोल दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क पर सटीक बैठ रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से लगभग सभी कंपनियों के नेटवर्क की गाड़ी राजधानी दून में इसी तरह बेलगाम हो रखी है। कॉल कहीं लगाई जाती है और कनेक्शन कहीं और जुड़ जाता है। कई दफा तो क्रॉस कनेक्शन का यह झमेला इतना बढ़ जाता है कि हर चौथी पांचवीं कॉल किसी और मोबाइल नंबर से कनेक्ट हो जा रही है। वहीं, रही-सही कसर कॉल ड्रॉप ने पूरी कर दी है। दिनों-दिन कॉल ड्रॉप का ग्राफ बढ़ रहा है, जिससे लोगों की मोबाइल नेटवर्क के प्रति झुंझलाहट भी बढ़ रही है। कई बार कोई कॉल बहुत जरूरी होती है या आपात स्थिति में किसी को कॉल करनी होती है। ऐसी स्थिति में क्रॉस कनेक्शन जुड़ जाए या कॉल ड्रॉप हो जाए तो लोगों की परेशानी को बखूबी समझा जा सकता है। आज शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसके पास मोबाइल फोन न हो। इसका मतलब यह है कि मोबाइल फोन हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। देहरादून जैसे भागदौड़ भरे शहर में जहां, लोगों के पास एक दूसरे से मिलने का समय नहीं और मोबाइल कॉल ही जुड़े रहने या संपर्क का प्रमुख साधन बन गया है। इसके बाद भी नेटवर्क इस तरह लोगों को गच्चे पर गच्चा देने लगे तो यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। यह स्थिति तब है, जब टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राइ) ने कॉल ड्रॉप को लेकर पिछले साल ही स्पष्ट मानक तय कर दिए हैं और इसे जुर्माने से भी जोड़ दिया गया है।

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दो फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए कॉल ड्रॉप

एक अक्टूबर 2018 से लागू ट्राइ के नए नियमों के अनुसार हर महीने दो फीसद से अधिक कॉल ड्रॉप नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति एक महीने में 100 कॉल करता है तो दो से अधिक कॉल के ड्रॉप होने की शिकायत नहीं होनी चाहिए। इस नियम का उल्लंघन करने पर दूरसंचार कंपनियों पर पांच लाख रुपये से अधिक तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। इस नियम के अनुरूप कोई भी उपभोक्ता इस बात को आसानी से समझ सकता है कि दो फीसद का आंकड़ा कई दफा तो एक घंटे से भी कम समय में पूरा हो जाता है। नए नियमों के लागू होने के एक साल बाद भी नेटवर्क जब-तब भटक रहे हैं और बार-बार अटक रहे हैं।

आवाज न आना भी कॉल ड्रॉप

कॉल बीच में कट जाना ही कॉल ड्रॉप नहीं है, बल्कि ट्राइ के नियमों के अनुसार कॉल लगाने पर आवाज न आना भी कॉल ड्रॉप है। इसके अलावा क्रॉस कनेक्शन भी इसी का हिस्सा है।

राज्य स्तर पर निगरानी न होने के चलते नहीं हो पाती शिकायत

वैसे तो कॉल ड्रॉप जैसी समस्या की शिकायत ट्राइ से की जा सकती है, मगर अधिकतर उपभोक्ता तकनीकी रूप से शिकायत करने में अक्षम नजर आते हैं। या उन्हें यह झंझटभरा काम लगता है। दूसरी ओर राज्य स्तर पर ऐसी कोई सरकारी विंग नहीं है, जहां लोग अन्य शिकायतों की तरह मोबाइल नेटवर्क की शिकायत भी दर्ज करा सकें। अधिकतर लोगों को दूरसंचार कंपनियों के स्थानीय कार्यालयों की तक जानकारी नहीं हो पाती और ले-देकर उन्हें कंपनियों के स्टोर के बारे में ही पता होता है। यहां से उन्हें समाधान नहीं मिल पाता और उपभोक्ताओं को कस्टमर केयर का पता बता दिया जाता है। कस्टमर केयर में भी लंबे इंतजार के बाद ग्राहक सेवा अधिकारी से बात हो पाती है और उनसे लंबे चौड़े सवाल किए जाते हैं। जैसे-घर पर दिक्कत आ रही है या ऑफिस में। फिर कहा जाता है कि हमारे सिस्टम में तो सब ठीक दिख रहा है। कई दफा बात आगे बढ़ने पर एक-दो दिन का समय दिया जाता है और परेशानी दूर करने का दावा कर शिकायत को बंद कर दिया जाता है।

ट्राई के 'माय कॉल' एप पर करें शिकायत

उपभोक्ताओं के लिए अच्छी बात है कि वह मोबाइल नेटवर्क संबंधी शिकायत को ट्राइ के 'माय कॉल' एप में दर्ज करा सकते हैं। अब आपको बताते हैं कि एप को कैसे डाउनलोड करें और किस तरह अपनी समस्या से ट्राई को अवगत कराएं।

  • माय कॉल एप को डाउनलोड करें।
  • एप के डाउनलोड होने के बाद एप को ओपन करें और सभी जरूरी परमिशन एप को दें। जैसे-कॉन्टेक्ट्स, कॉल हिस्ट्री, मैसेज, लोकेशन आदि।
  • अब किसी नंबर पर कॉल करें या किसी को कॉल करने के लिए कहें।
  • जैसे ही कॉल एक बार डिस्कनेक्ट होगा, वैसे ही एक पॉप-अब विंडो सामने आएगा, जिसमें कॉल को रेट करने के लिए पूछा जाएगा।
  • यहां आप अपने अनुभव के मुताबिक रेटिंग दें और जिस एनवायरन्मेंट में आप हैं, उसे भी सलेक्ट करें
  • अगर आपकी कॉल ड्रॉप हुई है तो कॉल ड्रॉप के बटन को टैप करें।
  • इसके बाद सबमिट का बटन दबा दें।

आइडिया-वोडाफोन के एकीकरण के चलते आ रही दिक्कत

आइडिया के जोनल हेड विनोद सिंह बताते हैं कि आइडिया व वोडाफोन के एकीकरण के चलते सिस्टम को दुरुस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके चलते ही इन दोनों नेटवर्क पर विभिन्न तरह की समस्या पैदा हो रही है। कंपनी अपने स्तर पर नेटवर्क को सुचारू करने में जुटी है, जल्द समस्या को दूर कर दिया जाएगा।

कुछ शिकायतें आ रहीं, उन्हें किया जा रहा दूर

एयरटेल के टेक्निकल सर्विस मैनेजर अमित शर्मा का कहना है कि उनके नेटवर्क में सुधार हो चुका है। कुछ शिकायतें जरूर आ रही हैं और उन्हें तत्काल दूर भी किया जा रहा है। निकट भविष्य में कॉल ड्रॉप या डेटा स्पीड की सभी समस्याएं दूर कर दी जाएंगी।

नंबरवार ही आ रही दिक्कत

बीएसएनएल के महाप्रबंधक एके श्रीवास्तव कहते हैं कि सामान्य रूप से नेटवर्क की दिक्कत नहीं आ रही है। जिन नंबरों में समस्या आ रही है, वह उपभोक्ता उसकी जानकारी दें और क्षेत्र भी बताएं। समस्या को उसी के अनुरूप दूर कर दिया जाएगा।

फोर-जी के नाम पर थ्री-जी स्पीड

बेशक फोर-जी इंटरनेट की दरें बहुत कम हो गई हैं और थोक आधार पर डेटा मिलने लगा है, मगर ग्राहकों को कब्जाने की होड़ में डेटा स्पीड कहीं पीछे छूट गई है। कहने को दूरसंचार कंपनी फोर-जी में मेगाबाइट प्रति सेकेंड में स्पीड देने का दावा करती हैं, मगर हकीकत में अधिकांश समय स्पीड किलोबाइट में नजर आती है। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों ने प्रीपेड या फिक्स पोस्टपेड प्लान से निर्धारित धनराशि तो उपभोक्ताओं की जेब से निकालने का इंतजाम कर लिया है, मगर उसके अनुरूप सेवा न मिलने पर लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं। स्थिति यह है कि एक माह का डेटा अगले या हमेशा के लिए निर्धारित जीबी में सुरक्षित रहने के बाद भी उसका भरपूर उपयोग नहीं हो पाता है।

इंटरनेट स्पीड जांचने को कई एप

आजकल मोबाइल में इंटरनेट स्पीड की जांच करने के लिए कई तरह की एप उपलब्ध हैं। ऐसी एप को डाउनलोड कर इससे इंटरनेट की डाउनलोड व अपलोड की स्पीड की जांच की जा सकती है। इसकी हिस्ट्री सुरक्षित रहती है, जिसे शिकायत के रूप में ट्राइ को भेजा जा सकता है।

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मोबाइल बैंकिंग में होती है परेशानी

स्लो (धीमी) डेटा स्पीड या इंटरनेट बाधित होने के चलते मोबाइल बैंकिंग में भी लोगों को काफी समस्या आ रही है। तुरंत पेमेंट के लिए अपनाई जाने वाली व्यवस्था में कई दफा एक भुगतान में कुछ सेकेंड की जगह मिनटों का समय लग जाता है। कई दफा तो पेमेंट बार-बार फेल होती रहती है।

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