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निकाय चुनावः कांग्रेस ने जारी किया दृष्टिपत्र, भाजपा ने कहा गायब है दृष्टि

कांग्रेस ने निकायों के लिए दृष्टिपत्र भी जारी कर दिया। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि दृष्टिपक्ष से दृष्टि गायब है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 10:25 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 10:25 AM (IST)
निकाय चुनावः कांग्रेस ने जारी किया दृष्टिपत्र, भाजपा ने कहा गायब है दृष्टि
निकाय चुनावः कांग्रेस ने जारी किया दृष्टिपत्र, भाजपा ने कहा गायब है दृष्टि

देहरादून, [जेएनएन]: स्थानीय निकाय चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। कांग्रेस ने निकायों के  लिए दृष्टिपत्र भी जारी कर दिया। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि दृष्टिपक्ष से दृष्टि गायब है। 

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मलिन बस्तियों को मालिकाना हक, निकायों को स्वायत्तता

कांग्रेस ने प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से हफ्ताभर पहले निकायों के लिए अपना दृष्टिपत्र जारी करते हुए इसमें शहरी मतदाताओं पर मोदी असर की काट के लिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने शहरी क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान को लोगों को बेघर करने की मुहिम करार देते हुए राज्य सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा की दुखती रग पर हाथ धरने की कोशिश की है। वहीं, मलिन बस्तियों के निवासियों को मालिकाना हक और पुनर्वास की पुरजोर पैरवी की है। 

प्रदेश की सत्ता पर दो बार काबिज रह चुकी कांग्रेस ने निकायों को अब स्वायत्त शासन का अधिकार देने का भरोसा दिलाया है। दृष्टिपत्र में महानगरों और नगरों की सूरत संवारने के लिए 22 बिंदुओं को मांगपत्र के रूप में प्रदेश की भाजपा सरकार के सामने पेश किया गया है। 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, दृष्टि पत्र बनाने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री नवप्रभात, संयोजक सूर्यकांत धस्माना, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में दृष्टिपत्र जारी किया। पार्टी ने मतदाताओं को त्रिस्तरीय पंचायतों और नगर निकायों के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए 73वें व 74वें संशोधन की याद दिलाई है। साथ ही नोटबंदी, जीएसटी, नीति आयोग, स्वच्छ भारत अभियान, पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से हो रही परेशानी को लेकर मतदाताओं से सवाल पूछते हुए केंद्र सरकार का आकलन करने को कहा गया है। 

दृष्टिपत्र में कहा गया कि प्रदेश में किसानों व व्यापारियों की आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा है। पिछली कांग्रेस सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को बंद किया गया। वहीं उच्च न्यायालय की आड़ में राज्य सरकार पर अतिक्रमण विरोधी अभियान के नाम पर हजारों लोगों के निर्माण ध्वस्त कर उन्हें बेघर करने और मलिन बस्तियों को उजाड़ने की साजिश के आरोप लगाए गए हैं। 

कांग्रेस ने निकाय सरकारों को अधिक स्वायत्तता देने का वायदा किया, साथ ही राज्य सरकार के सामने मांग पत्र के रूप में शहरों को सुधारने के लिए अपना दृष्टिकोण सामने रखा है। निकायों में सफाई व्यवस्था के लिए मानकों के मुताबिक आबादी के अनुपात में सफाई कर्मचारियों की तैनाती पर जोर दिया गया है। 

कांग्रेस ने यूं पेश किया विजन 

-राज्य के महानगरों-नगरों का नियोजित विकास हो -नगरों में सफाई व्यवस्था के लिए आधुनिकतम उपकरण, पर्वतीय क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सफाई का हो प्रबंधन 

-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए महायोजना बने, ट्रेचिंग ग्राउंड, प्रोसेसिंग प्लांट दो-तीन दशकों तक संचालित हों 

-निर्वाचित बोर्डो को संविधान संशोधनों के मुताबिक शक्तिशाली बनाया जाए, नगर विकास योजनाओं में सरकार के साथ बने भागीदार 

-नगरीय मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को पिछली कांग्रेस सरकार में पारित कानून के तहत मालिकाना हक व पुनर्वास 

-नगरों में पार्को का विकास, ग्रीन बेल्ट का विकास, हाट बाजार, वेंडर जोन

-पथ प्रकाश की उचित व्यवस्था, ट्रैफिक लाइट्स, बरसाती पानी की निकासी को उचित ड्रेनेज प्लान 

-सीनियर सिटीजंस की सेवा व सुरक्षा को व्यवस्था, महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा को प्रमुख स्थानों, चौराहों व एकांत मार्गो पर सीसीटीवी की व्यवस्था

-रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को निकायों के साथ तालमेल बनाकर प्रभावशाली बनाना 

-निकायों में कार्यो का पब्लिक ऑडिट कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना -सार्वजनिक

-निजी संपत्तियों को पोस्टर, बैनर, होर्डिग, लिखाई कर बदरंग करने के खिलाफ पब्लिक प्रॉपर्टी डिफेंसमेंट एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू करना

-निकायों में मानकों के हिसाब से कार्मिकों की भर्ती 

-महानगरों व नगरों में आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए प्रभावी योजना के तहत गौशालाओं का निर्माण, आवारा कुत्तों की नसबंदी कर उनकी आबादी को बढ़ने से रोकना, बंदरों के लिए विशेष बाड़ा बनाने व उनकी आबादी पर नियंत्रण को नसबंदी।

मोदी असर की काट को सवालों का तरकश

पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर झेल चुकी कांग्रेस को अब नगर निकाय चुनावों में भी यह खौफ तारी है। यह किसी चुनावी फिजा से जाहिर नहीं हो रहा, बल्कि नगर निकाय चुनाव के लिए जारी कांग्रेस का दृष्टिपत्र खुद इसकी बानगी है। प्रदेश में छोटी सरकार यानी निकाय सरकार के लिए होने जा रहे चुनाव में कांग्रेस ने सबसे पहला व सीधा हमला केंद्र की मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला है। 

पांच साल में मोदी सरकार के तमाम फैसलों पर प्रश्नवाचक खड़े कर मतदाताओं से एक दर्जन से ज्यादा सवाल पूछ डाले हैं। निकायों के लिए दृष्टिपत्र तैयार करने में पार्टी ने जिस अंदाज में मशक्कत की है, वह आगामी लोकसभा चुनाव की रिहर्सल भी साफतौर पर झलक रही है। यानी पार्टी ये मानकर भी चल रही है कि निकाय चुनाव के नतीजे शहरी क्षेत्रों में केंद्र की मोदी सरकार के लिए मतदाताओं का फीडबैक होंगे। 

इसे शहरी मतदाताओं में भाजपा की पैठ यानी मोदी लहर का असर मानें कि प्रदेश में नगर निकायों के लिए जारी किए गए कांग्रेस के दृष्टिपत्र में सबसे पहले सीधे तौर पर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया गया है। राज्य सरकार को तो दृष्टिपत्र के बहाने परोक्ष तौर पर मांगों का पुलिंदा थमाया गया है। 

प्रमुख विपक्षी पार्टी ने 18 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले मतदाताओं को यह भी याद दिलाई कि 73वें व 74वें संविधान संशोधन कांग्रेस शासनकाल में हुए। प्रदेश कांग्रेस ने देश में पंथ निरपेक्षता के सिद्धांत का पालन करने समेत सात बिंदुओं में केंद्र सरकार के दायित्व बताते हुए परोक्ष तौर पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया। 

निकाय चुनाव के दृष्टिपत्र में वर्ष 2019 में केंद्र की सरकार के चुने जाने के लिए मौजूदा मोदी सरकार के पांच वर्षो में हुए अहम बदलावों को लेकर मतदाताओं को अनुस्मारक पत्र प्रस्तुत किया है। इसमें नोटबंदी, जीएसटी, योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग, उत्तराखंड को केंद्र से मिलने वाली विशेष सहायता पर रोक, नगर निकायों में जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्युअल मिशन को समाप्त कर नई व्यवस्था में मलिन बस्ती सुधार योजनाओं पर रोक लगने को मुद्दा बनाते हुए मतदाताओं से आकलन करने को कहा गया है। 

देशी बाजार में विदेशी आयतित सामान की भरमार, केंद्रीय संस्थाओं के साथ केंद्र सरकार के टकराव, बगैर संसाधन के चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान, पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दामों में वृद्धि के साथ ही सुप्रीम कोर्ट, आरबीआइ, सीबीआइ में हस्तक्षेप के आरोप केंद्र सरकार पर लगाए गए हैं।

जाहिर है कि शहरी मतदाताओं के अपेक्षाकृत बुद्धिजीवी वर्ग को मथने के लिए कांग्रेस ने अपने तरकश को कई तरह के तीर शामिल किए हैं। नगर निकाय चुनाव में देरी और छह माह बीतने पर भी रुडकी, बाजपुर व श्रीनगर, सेलाकुई, भतरौज खान नगर निकायों में चुनाव नहीं होने पर भी कांग्रेस ने सीधे सवाल खड़े किए हैं।

कांग्रेस के दृष्टिपत्र से दृष्टि गायब: भाजपा

नगर निकाय चुनाव के लिए जारी कांग्रेस के दृष्टि पत्र को कठघरे में खड़ा करते हुए भाजपा ने कहा कि इस दृष्टिपत्र से दृष्टि ही गायब है। इसके अधिकांश हिस्से में केंद्र सरकार की आलोचना है और बाकी में प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए ज्ञापन है। 

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि कांग्रेस के दृष्टि पत्र से यह भी साफ हो गया कि उसने अपने वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को भी बिसरा दिया है। दृष्टि पत्र में काग्रेस के राष्ट्रीय व प्रांतीय नेताओं के चित्र हैं, मगर एनडी तिवारी का चित्र गायब है। 

डॉ. भसीन ने कहा कि कांग्रेस ने अपने दृष्टिपत्र में स्थानीय निकाय चुनाव से कहीं अधिक लोकसभा चुनाव को केंद्र में रखा है। इसीलिए केंद्र सरकार की आलोचना पर जोर दिया गया। स्थानीय निकाय का जिस रूप में जिक्र है, वह प्रदेश सरकार के लिए मात्र ज्ञापन है और इसमें सरकार से विभिन्न अपेक्षाएं की गई है। 

उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि हताश कांग्रेस इस चुनाव में अपनी पराजय स्वीकार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि काग्रेस ने प्रदेश सरकार से विभिन्न अपेक्षाएं की हैं, उसे बताना होगा कि जब उत्तराखंड में काग्रेस सरकार थी तो उसने स्थानीय निकायों के लिए क्या किया। सच यह है कि उत्तराखंड में काग्रेस ने भाजपा के बहुमत वाले बोर्डों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया। 

उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में भाजपा को शानदार जीत हासिल होने जा रही है। इससे प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार विकास के नए आयाम स्थापित करेगी।

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