उत्तराखंड विधानसभा सत्रः कांग्रेस ने उठाया पुरानी पेंशन का मसला
उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने अंशदायी पेंशन योजना को नाकाफी बताते हुए पुरानी पेंशन को बहाल करने का मसला उठाया। वहीं सरकार ने इसे कांग्रेस शासन काल में लागू की गई व्यवस्था बताया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्य में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली का मसला सदन में भी गूंजा। उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने अंशदायी पेंशन योजना को नाकाफी बताते हुए पुरानी पेंशन को बहाल करने का मसला उठाया। वहीं, सरकार ने इसे कांग्रेस शासन काल में लागू की गई व्यवस्था करार देते हुए कांग्रेस को इसे तूल न देने की बात कही। इस पर कांग्रेसी विधायकों ने नाराजगी भी जताई।
सदन की कार्यवाही शुरू होते हुए उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने नियम 310 (सभी कार्य रोककर चर्चा ) के तहत इस विषय पर चर्चा की मांग की। इस पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर कांगे्रेसी विधायक वेल में भी आ गए। पीठ द्वारा नियम 58 की ग्राह्य़ता में सुनने के आश्वासन पर वे सीट पर बैठे।
भोजनावकाश के बाद हुई चर्चा में उप नेता प्रतिपक्ष माहरा ने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग को लेकर कर्मचारी आंदोलित हैं। अशंदायी पेंशन योजना सुरक्षा की गारंटी नहीं है। सरकार इस मामले में अध्यादेश लाकर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना सुनिश्चित करे। विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल व हरीश धामी ने भी इस योजना को लागू करने का समर्थन किया।
सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि यह मामला 15 वर्ष पुराना है। इस कारण इसे सदन में लाने की जरूरत नहीं थी। वर्ष 2005 में जब नई पेंशन योजना को अंगीकार किया गया, तब प्रदेश और केंद्र दोनों स्थानों पर कांग्रेस की सरकार थी। वित्त मामलों के माहिर पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने उस समय जो निर्णय लिया होगा वह प्रदेश की भलाई के लिए ही लिया होगा। ऐसे में कांग्रेस को इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।
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संसदीय कार्यमंत्री के जवाब पर कांग्रेसी विधायक बिफर गए। विधायक हरीश धामी ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री का जवाब संतोषजनक नहीं है। उन्होंने इस दौरान पूर्व संसदीय कार्य मंत्री स्व. प्रकाश पंत को याद करते हुए कहा कि वह विधायकों की भावनाओं के अनुरूप ही बातें किया करते थे।