कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला बोले, 40 प्रतिशत सैनिकों से छीना ओआरओपी का हक
देहरादून में आज वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला देवेंद्र यादव व मोहन प्रकाश ने संयुक्त पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने सेना और सैनिकों को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोला। कहा सरकार सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात कर रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कांग्रेस ने सेना और सैनिकों की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार और भाजपा ने सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात किया है। वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) का हक 30 से 40 प्रतिशत सैनिकों से छीन लिया गया है।
सैन्य बहुल उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के लिए 14 फरवरी को चुनाव होना है। कांग्रेस ने चुनाव के मौके पर सैनिक बहुल राज्य में मोदी सरकार को उसके फैसलों को लेकर घेरने की कोशिश की। इस सिलसिले में शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा एक तरफ तो सेना की कुर्बानी और शौर्य का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं, दूसरी ओर से सेना और सैनिकों की आवश्यकताओं से मुंह चुराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तीनों सेनाओं में 1,22,555 पद खाली पड़े हैं। इसमें करीब 10 हजार पद सैन्य अधिकारियों के हैं। सरकार ने ओआरओपी पर 30 लाख पूर्व सैनिकों से धोखा किया है। इससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैन्य कार्मिकों को नुकसान हुआ। चालू वित्तीय वर्ष में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजना के बजट में बड़ी कटौती की गई है। सीएसडी कैंटीन में सामान खरीद पर कई पाबंदी लगाई गई हैं। कैंटीन की वस्तुओं पर जीएसटी वसूल किया जा रहा है, जबकि केंद्र की यूपीए सरकार के कार्यकाल में इन वस्तुओं को वैट से मुक्त रखा गया था। कैंटनी से अधिकतम खरीद की सीमा 10 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित की गई है। कैंटीन के माध्यम से अब 10 साल की सेवा के बाद ही पहली कार खरीदी जा सकती है।
मोदी सरकार ने सैनिकों को दिव्यांगता पेंशन पर भी कर लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन सरकार सैनिकों के खिलाफ यह केस लड़ रही है। सुरजेवाला ने कहा कि सातवें वेतन आयोग में सेनाओं से सौतेला व्यवहार किया गया है। आयोग में डिफेंस पे मैट्रिक्स में केवल 24 वेतन स्तर निर्धारित किए हैं, जबकि सिविल सेवाओं में ऐसे 40 स्तर हैं। परिणाम ये हुआ कि सैनिकों व अधिकारियों की पेंशन सिविल कार्मिकों से करीब 20 हजार रुपये कम निर्धारित हुई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव को 60 हजार रुपये दिव्यांगता पेंशन मिलती है, जबकि सेना के लेफ्टिनेंट जनरल को यही पेंशन सिर्फ 27 हजार रुपये मिलती है। हार्डशिप अलाउंस में भी सैनिकों व सिविल कार्मिकों में भेदभाव किया गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी सेना का अपमान नहीं किया। यदि थल सेनाध्यक्ष रहते हुए जनरल बिपिन रावत के विरुद्ध किसी ने अमर्यादित टिप्पणी की है तो पार्टी इसके लिए खेद जताती है। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो गौरव वल्लभ, मुख्य पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सहप्रभारी कुलदीप इन्दौरा, प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि व प्रदेश महामंत्री मथुरादत्त जोशी मौजूद रहे। इस मौके पर कांग्रेस की ओर से सेना और सैनिकों की उपेक्षा पर तैयार की गई पुस्तिका का अनावरण भी किया गया।