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Uttarakhand Politics: घर छोड़कर जाने वाले नेताओं के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले, भाजपा की बढ़ी चिंता

उत्‍तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ माह का समय शेष रह गया है। कांग्रेस ने घर छोड़कर जाने वाले नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। बीते रोज यशपाल आर्य के अपने विधायक पुत्र संजीव के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए इससे भाजपा असहज है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 07:57 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 07:57 AM (IST)
Uttarakhand Politics: घर छोड़कर जाने वाले नेताओं के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले, भाजपा की बढ़ी चिंता
यशपाल आर्य के अपने विधायक पुत्र संजीव के साथ कांग्रेस में लौटने के कदम से भाजपा असहज है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य रहे यशपाल आर्य के अपने विधायक पुत्र संजीव के साथ कांग्रेस में लौटने के कदम से भाजपा असहज है। खासकर, कांग्रेस पृष्ठभूमि के विधायकों, जिनमें कई मंत्री भी शामिल हैं, के तेवर पिछले कुछ महीनों के दौरान जिस तरह तमाम मुद्दों पर तल्ख रहे हैं, उससे भाजपा नेतृत्व की इन्हें पालाबदल से रोकने की चिंता बढ़ गई है। अब जबकि कांग्रेस ने घर छोड़कर जाने वाले नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, ऐसा होना स्वाभाविक भी है। समझा जा रहा है कि अब ये नेता विधानसभा चुनाव तक अपनी शर्तों को लेकर भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति अमल में ला सकते हैं।

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उत्तराखंड की सियासत पांच साल बाद फिर खुद को दोहराती नजर आ रही है। मार्च 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत नौ विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद तत्कालीन कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य समेत दो विधायक कांग्रेस से भाजपा में चले गए। भाजपा ने तब इनके साथ किए गए अपने कमिटमेंट को पूरा किया और सभी को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट दिया। यही नहीं, इनमें से पांच को मंत्री भी बनाया गया। यह बात दीगर है कि इनमें से कुछ को छोड़कर ज्यादातर भाजपा की रीति-नीति को लेकर लगातार असहज दिखे।

इसकी परिणति चुनावी वर्ष में देखने को मिली। इसी वर्ष मार्च और फिर जुलाई में सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के दौरान कांग्रेस पृष्ठभूमि के मंत्रियों की नाराजगी सार्वजनिक हुई। इनमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व हरक सिंह रावत भी शामिल थे, जो स्वयं को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देख रहे थे। इनके अलावा देहरादून के रायपुर से विधायक उमेश शर्मा काऊ, रुड़की से विधायक प्रदीप बत्रा, खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की अपनी ही पार्टी के नेताओं के साथ रार-तकरार कई मौकों पर देखने को मिली। यशपाल आर्य ने भी हाल ही में नाराजगी जाहिर की, जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बातचीत के लिए उनके घर पहुंचे।

अब जबकि चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने पुरानी बागियों के लिए घर के दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं, इन सब नेताओं पर नजरें टिक गई हैं। कांग्रेस लगातार दावा करती आ रही है कि भाजपा के कई विधायक पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं। इस स्थिति में भाजपा में पिछले कुछ वर्षों के दौरान आए कांग्रेस पृष्ठभूमि के नेता ही कांग्रेस का टार्गेट समझे जा रहे हैं। भाजपा की चिंता यह है कि किस तरह इन नेताओं को पाला बदलने से रोका जाए, क्योंकि विधानसभा चुनाव के मौके पर इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा।

हालांकि इनमें से एक-दो नेताओं की घर वापसी को लेकर अब भी कांग्रेस एक राय नहीं है। अगले कुछ दिनों में कुछ और भाजपा विधायकों के घर लौटने के संकेत कांग्रेस महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दिए। हालांकि उन्होंने कांग्रेस पृष्ठभूमि के सभी विधायकों के घर लौटने की बात से इन्कार किया।

उधर, कांग्रेस के समक्ष भी इस ताजा सियासी घटनाक्रम के बाद एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है। घर वापसी करने वाले नेताओं के विधानसभा क्षेत्रों में पिछले साढ़े चार साल से चुनाव की तैयारी में जुटे कांग्रेस नेताओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगने से उनका रोष सार्वजनिक होने लगा है। इसकी बानगी सोमवार को नैनीताल की पूर्व विधायक व पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य के तेवरों में देखने को मिल गई।

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