डीजल बनाने के लिए खोले जा रहे हैं प्लास्टिक बैंक
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने सीएससीआर-आइआइपी के सहयोग से देहरादून में 10वां प्लास्टिक बैंक स्थापित किया।
देहरादून, जेएनएन। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) व सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी (एसडीसी) की पहल रंग लाने लगी है। डीजल बनाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के एकत्रीकरण को लेकर विभिन्न प्रतिष्ठान आगे आ रहे हैं। ये प्रतिष्ठान में प्लास्टिक बैंक की स्थापना को तैयार हो रहे हैं। यही वजह है कि शनिवार को आइआइपी व एसडीसी का दून में 10वां प्लास्टिक बैंक स्थापित कर लिया गया। 10वां प्लास्टिक बैंक माउंट फोर्ट एकेडमी (वसंत विहार) में खोला गया।
शनिवार को प्लास्टिक बैंक की स्थापना के अवसर पर फाउंडेशन के कम्युनिटी आउटरीच एसोसिएट ऋषभ श्रीवास्तव ने छात्रों को बताया कि यदि सिंगल यूज प्लास्टिक को यहां-वहां फेंकने की जगह प्लास्टिक बैंक में एकत्रित किया जाए तो न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित होगा, बल्कि इस प्लास्टिक का प्रयोग डीजल बनाने में किया जा सकता है। आइआइपी ने डीजल बनाने की यह तकनीक ईजाद की है और प्लांट में प्लास्टिक पहुंचता रहे, इसीलिए प्लास्टिक बैंक खोलने की मुहिम शुरू की गई है। उन्होंने अपील की कि छात्र-छात्राएं व शिक्षक घरों से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैंक में एकत्रित करें। इस अवसर पर एसडीसी के संस्थापक अनूप नौटियाल, स्कूल की निदेशक ज्योति धवन, प्यारे लाल आदि उपस्थित रहे।
यह प्लास्टिक बैंक खुल चुके
होपटाउन गल्र्स स्कूल, होटल रीजेंटा, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, आइएनडीई कैंपस धिौली, दृष्टि आई इंस्टीट्यूट, एसएल होंडा, सीएनआइ गल्र्स कॉलेज, कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल, माउंट फोर्ड एकेडमी, डीएवी इंटर कॉलेज।
आइआइपी को भेजा जा चुका 1800 किलो प्लास्टिक
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बताया कि अब तक प्लास्टिक बैंक के माध्यम से डीजल बनाने के लिए आइआइपी को 1800 किलो से अधिक प्लास्टिक कचरा भेजा जा चुका है। प्लास्टिक बैंक की स्थापना के लिए आइआइपी के साथ 11 जून 2019 को करार किया गया था।
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