उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर बढ़ी रार, अब शासन और विवि प्रशासन आमने-सामने
कुलसचिव पद को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब इस मामले में शासन व विवि प्रशासन आमने-सामने हैं। बता दें कुछ दिन पहले डा. मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव पद से हटाकर शासन से संबद्ध कर दिया गया था।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब इस मामले में शासन व विवि प्रशासन आमने-सामने हैं। बता दें, कुछ दिन पहले डा. मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव पद से हटाकर शासन से संबद्ध कर दिया गया था। शासन ने उनके स्थान पर गुरुकुल आयुर्वेदिक कालेज के परिसर निदेशक डा. अरुण कुमार त्रिपाठी को कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया था।
डा. त्रिपाठी तीन दिन से विवि के चक्कर काट रहे हैं, पर उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा। यही नहीं कुलपति ने शासन को पत्र भेज पूर्व कुलसचिव डा. राजेश कुमार अदाना से इस पद पर कार्य लेने की सहमति मांगी है। जबकि शासन उनकी संबद्धता समाप्त कर तुरंत कार्यमुक्त करने का आदेश दे चुका है। उक्त स्थिति ने शासन ने कड़ी नाराजगी जताई है। आयुष चिकित्सा सचिव चंद्रेश कुमार ने कुलपति को पत्र भेज साफ कर दिया है कि राजकीय अधिकारी होने के नाते उनके लिए शासन का आदेश मानना बाध्यकारी है। पर वह लगातार शासकीय आदेशों की अवहेलना और अनावश्यक पत्राचार कर रहे हैं। जो स्वीकार्य नहीं है। उन्हें तत्काल आदेश का अनुपालन कर शासन को कार्यवाही से अवगत कराने को कहा गया है।
दरअसल, शासन ने गत वर्ष दिसंबर में डा मृत्युंजय कुमार मिश्रा का निलंबन समाप्त कर उन्हें आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर बहाल किया था। उन्होंने कुलपति की अनुपस्थिति में कार्यभार ग्रहण कर लिया, जिससे विवि में विवाद की स्थिति बन गई थी। कुलपति डा. सुनील जोशी ने इस मामले में राज्यपाल व शासन को पत्र भेज फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था। वहीं, कुलसचिव को विवि की पत्रावलियां दिखाने पर भी उन्होंने रोक लगा दी थी। यही नहीं कुलसचिव कार्यालय व रिकार्ड रूम पर भी ताला लगवा दिया गया था।
विवि में उपजे इस प्रशासनिक गतिरोध के चलते तमाम कार्य लटक गए थे। ऐसे में डा. मृत्युंजय मिश्रा को शासन से संबद्ध कर, डा. अरुण कुमार त्रिपाठी को कुलसचिव का पदभार दिया गया। पर कुलसचिव कार्यालय पर अभी भी ताला पड़ा हुआ है। डा. त्रिपाठी बाहर सोफे पर ही तमाम काम निपटा रहे हैं। उधर, पौड़ी में चिकित्साधिकारी पूर्व कुलसचिव डा. राजेश कुमार अदाना की संबद्धता समाप्त कर उन्हें मूल तैनाती पर भेजे जाने के आदेश हैं। पर उन्हें भी अभी तक रिलीव नहीं किया गया है।
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